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Chhattisgarh : वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास के सामने देंगे धरना

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने एक बार फिर कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत पर गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। कंवर ने कहा है कि उन्होंने कलेक्टर के खिलाफ कई बड़े भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत सरकार से की थी, जिनमें करोड़ों के घोटाले शामिल हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब उन्होंने 4 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री निवास सिविल लाइन रायपुर के सामने धरना देने का ऐलान किया है।

ननकीराम कंवर ने कहा कि एसडीएम कार्यालय की जांच में भी उनकी शिकायतें सही पाई गईं। शिकायतों में ODS घोटाला, कोयला घोटाला, एसडीओपी स्तर पर भ्रष्टाचार, सड़क निर्माण में फर्जी मुआवजा घोटाला, शराब घोटाला और कई अन्य मामले शामिल हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार और प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया। शिकायतों को दबाकर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण दिया जा रहा है।
कंवर का कहना है कि उन्होंने पहले भी मुख्यमंत्री और संगठन को पत्र लिखकर चेताया था कि अगर 3 दिन के भीतर कोरबा कलेक्टर को अन्यत्र नहीं हटाया गया तो वे धरने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री आवास में बैठे आईएएस अधिकारियों की पकड़ इतनी मजबूत है कि उनकी वजह से सरकार शिकायतों को दबा रही है।

14 बिंदुओं की शिकायत दी थी: पूर्व मंत्री 
उन्होंने कहा कि मैंने जनता की भावनाओं और भ्रष्टाचार के सबूतों के आधार पर 14 बिंदुओं की शिकायत दी थी, लेकिन सरकार आंख मूंदकर बैठी है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं होती है तो मैं अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना दूंगा।

सरकार पर गंभीर आरोप
कंवर ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस विषय को सार्वजनिक मंच पर उठाया, तो उनके सवालों को अनदेखा कर दिया गया। उनका कहना है कि यह केवल उनकी नहीं, बल्कि अन्य जनप्रतिनिधियों की शिकायतों के साथ भी हो रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार को बचाने की कोशिश हो रही है।

पत्रों से गरमाई सियासत
ननकीराम कंवर का यह कदम छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकता है। भाजपा नेता होने के बावजूद उन्होंने जिस तरह सीधे-सीधे कलेक्टर और सरकार पर हमला बोला है, उससे प्रशासन पर दबाव बढ़ना तय माना जा रहा है। आने वाले समय में यह मामला न सिर्फ सरकार बल्कि अफसरशाही के लिए भी चुनौती बन सकता है। अगर पूर्व मंत्री अपने धरने पर डटे रहते हैं तो विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर राज्य सरकार को घेर सकता है।

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news36Desk

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