छत्तीसगढ शराब घोटाला : 29 अक्टूबर तक बढ़ी चैतन्य की रिमांड, ED बोली बघेल डेवलपर्स में घोटाले का पैसा इन्वेस्ट करने का सूबत

रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में रायपुर की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ज्यूडिशियल रिमांड 29 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी है। यानी चैतन्य बघेल की दिवाली इस बार जेल में ही कटेगी। वह 18 जुलाई 2025 से जेल में बंद हैं।
EOW को चार्जशीट पेश करने के लिए मिली थी मोहलत
इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने 13 अक्टूबर को कोर्ट से चार्जशीट पेश करने के लिए वक्त मांगा था। कोर्ट ने 15 अक्टूबर तक का समय दिया था, लेकिन निर्धारित समय में ईओडब्ल्यू टीम चार्जशीट पेश नहीं कर पाई। ऐसे में कोर्ट ने चैतन्य समेत सभी आरोपियों की रिमांड 29 अक्टूबर तक बढ़ा दी है ताकि सभी का मामला एक साथ सुना जा सके।
EOW की पूछताछ में अहम खुलासे
EOW के अधिकारियों के अनुसार, रिमांड के दौरान चैतन्य बघेल से मिली जानकारियों के आधार पर जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा और भविष्य में कुछ और आरोपियों पर कार्रवाई हो सकती है।
16.70 करोड़ रुपए मिले- ED की जांच
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच में दावा किया है कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले की रकम में से 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। जांच में यह भी सामने आया कि इन पैसों को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर ब्लैक मनी को वाइट दिखाया गया। ED के अनुसार, करीब 1000 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई है।
विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में निवेश
ED ने बताया कि चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले की रकम से 13-15 करोड़ रुपए का निवेश किया गया। जांच में पता चला कि खातों में सिर्फ 7.14 करोड़ रुपए का ही खर्च दिखाया गया, जबकि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए की नकद पेमेंट दी गई, जो रिकॉर्ड में नहीं थी।
फर्जी फ्लैट खरीदारी और पैसे की हेराफेरी
ED के अनुसार, राजेंद्र जैन, कंसल्टेंट ने खुलासा किया कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने कर्मचारियों के नाम से 19 फ्लैट खरीदे, जिसके लिए 5 करोड़ रुपए दिए गए। ट्रांजेक्शन एक ही दिन (19 अक्टूबर 2020) को हुआ। कर्मचारियों ने माना कि फ्लैट उनके नाम पर हैं, पर पैसे ढिल्लो ने ही दिए। इस पूरे लेन-देन का मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य तक पहुंचाना था।
ज्वेलर्स से नकद लेन-देन
ED ने बताया कि भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए थे, जो दोनों कंपनियों को लोन के रूप में ट्रांसफर किए गए। बाद में उसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट 80 लाख में खरीदे। ED के मुताबिक, ये घोटाले की रकम थी, जिसे लोन और बैंक ट्रांजेक्शन के जरिए वैध दिखाने की कोशिश की गई।
फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल
ED का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले की रकम छुपाने और जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए अन्य कंपनियों और व्यक्तियों का इस्तेमाल किया। ढिल्लो सिटी मॉल, ढिल्लो ड्रिंक्स, और कर्मचारियों के खाते इसके माध्यम रहे।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच
ED की जांच में खुलासा हुआ कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए 2000 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला किया गया। इस मामले में प्रमुख राजनेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों के खिलाफ FIR दर्ज है।