पाकिस्तान को आस है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उसे आर्थिक मदद मिले, इसके लिए वहां की हुकूमत हर शर्त मानने को तैयार है
पाकिस्तान के आर्थिक हालात दिनो दिन बिगड़ते जा रहे हैं. पाकिस्तानी करेंसी गर्त में जा रही है. महंगाई के चलते आवाम आंसू बहाने को मजबूर है, ऐसे में वहां की हुकूमत बाहरी मदद मिलने का इंतजार कर रही है. पाकिस्तान को कर्ज के दलदल से बाहर निकालने में अहम रोल अदा करने वाले यूएई और सउदी अरब दोनों खाड़ी देश भी अब पाकिस्तानी को मदद नहीं दे पा रहे. अगर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जल्द मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफॉल्ट भी हो सकता है.
आने वाले समय में वहां क्या कुछ होने वाला है.
अगर पाकिस्तान डिफॉल्ट हुआ तो वहां आवाम की दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाएंगी. डिफॉल्ट होने की स्थिति में इस इस्लामिक मुल्क के पास अपने पुराने कर्जों को चुकाने के लिए पैसे नहीं बचेंगे. ऐसे में वहां अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी. बता दें कि अभी पाकिस्तान में विदेशी निवेश बहुत कम है, ज्यादातर बड़े प्रोजेक्ट चीन के हाथों में हैं. यदि चीन से भी रकम आना बंद हो गई तो पाकिस्तान में बेरोजगारी और बढ़ जाएगी.
रुला रही है मंहगाई तोड़ रही कमर
पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने की सूरत में वहां विदेशी निवेश लगभग खत्म ही हो जाएगा. इसका सबसे बड़ा नुकसान पाकिस्तानी मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को होगा, जो सामान को विदेशों में निर्यात कर देश के लिए विदेशी करेंसी जुटाते हैं. उधर, पाक में बढ़ती महंगाई लोगों का जीना मुहाल करती जा रही है. पेट्रोल के रेट लगभग 250 रुपए लीटर तक हो गए हैं. हाल में ही पाकिस्तान ने पेट्रोल के दामों में 35 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है.
पाक डिफॉल्ट हुआ तो गतिरोध बढ़ेगा
पेट्रोल के रेट बढ़ाने के पीछे कई जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मदद करने की पहली शर्त रखी थी. बाकी की शर्तों में टैक्स बढ़ाना, भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करना भी शामिल हैं. यदि ये शर्तें पूरी नहीं हुई तो उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज नहीं मिलेगा. यदि कर्ज नहीं मिलेगा तो पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाएगा. ऐसी स्थिति में मुल्क की मुसीबतें बढ़ जाएंगी.
मुल्क में बढ़ सकती है अराजकता
पाक के डिफॉल्ट होने पर वहां के बाजार और व्यवसाय में बड़ी गिरावट आएगी. कई कंपनियां, फैक्ट्री और सर्विसेज खुद को डिफॉल्ट घोषित करना शुरू कर देंगी. वहीं, व्यापार बंद होने के कारण नौकरियों में भारी कटौती होगी. उधर, कीमतों में अनुपातहीन वृद्धि और बढ़ सकती है, विशेष रूप से आयातित वस्तुओं की. पेट्रोल के कम स्टॉक और कुप्रबंधन से आवाम पहले से ही चिंतित है. इस मुल्क में आगे अराजकता और बढ़ सकती है. पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने के कारण अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और भयावह होंगे. पाकिस्तानी रुपये में जितनी गिरावट हो चुकी है, उससे कई गुना और गिरावट आएगी.