रावतपुरा मेडिकल कॉलेज रिश्वत कांड : पाँच आरोपियों को मिली ज़मानत

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च से जुड़े चर्चित रिश्वतकांड केस में पांच आरोपियों को जमानत दे दी है। यह मामला एक टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर दर्ज हुआ था, जिसमें यह बात सामने आई कि अवैध लाभ के बदले निरीक्षण प्रक्रिया में हेराफेरी की गई थी।
आरोप यह है कि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के निरीक्षकों की गोपनीय जानकारी लीक की गई थी और उन्हें मनमाफिक रिपोर्ट तैयार करने के लिए रिश्वत दी गई थी। सुनवाई 29 अक्टूबर 2025 को हुई, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे और हर्षवर्धन परगनिहा ने मयूर रावल, रजिस्ट्रार, गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि रावल के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं है और सीबीआई जांच भी उनके संबंध में पूरी हो चुकी है। केस में चार्जशीट भी विशेष न्यायालय (सीबीआई), रायपुर में पहले ही पेश कर दी गई है।
चार्जशीट करीब 18,000 पन्नों की है व 129 से अधिक गवाहों पर आधारित है, जिससे मुकदमे के जल्दी खत्म होने की संभावना नहीं है। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी को अब तक काफी समय न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा है, ऐसे में जमानत देना उचित है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों के आधार पर आरोपियों को जमानत दे दी। अन्य अभियुक्तों की ओर से मनोज परांजपे, वरिष्ठ अधिवक्ता ने पैरवी की थी।
जाने क्या था पूरा मामला
नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए रिश्वत देने के मामले में सीबीआई ने जुलाई 2025 में छह लोगों को गिरफ्तार किया था। यह कांड 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के राष्ट्रीय स्तर के रिश्वत नेटवर्क का हिस्सा बताया जा रहा है ।
सीबीआई ने 1 जुलाई 2025 को रायपुर के कबीर नगर इलाके के एक होटल से 55 लाख रुपये की रिश्वत का लेन-देन करते हुए छह लोगों को रंगे हाथों पकड़ा । गिरफ्तार किए गए आरोपियों में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के तीन निरीक्षक डॉक्टर शामिल थे – डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस और डॉ. अशोक शेलके । इनके अलावा कॉलेज के निदेशक अतुल कुमार तिवारी, डॉ. सतीश और के रविचंद्रन को भी गिरफ्तार किया गया ।
सभी छह आरोपियों को 2 जुलाई को सीबीआई की विशेष कोर्ट में पेश किया गया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया । इस मामले में सीबीआई ने 35 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है ।
रिश्वतकांड की पूरी कहानी
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि कॉलेज संचालक संस्था के प्रमुख रविशंकर महाराज (रावतपुरा सरकार) स्वयं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआइएसएस) के चेयरमैन डीपी सिंह से मान्यता के लिए सौदेबाजी कर रहे थे । कॉलेज के निदेशक अतुल तिवारी ने एनएमसी निरीक्षण दल की प्रमुख डॉ. मंजप्पा को रायपुर के एक होटल में 55 लाख रुपये की रिश्वत का प्रस्ताव दिया ।
रिश्वत की राशि बेंगलुरू में हवाला ऑपरेटर के जरिए डॉ. सतीश और डॉ. चैत्रा के पति रविचंद्रन को दी गई । इस पैसे को निरीक्षण दल के सभी सदस्यों में बराबर बांटने की योजना थी, ताकि वे कॉलेज की मान्यता के लिए अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट पेश करें ।
सीबीआई की कार्रवाई और छापेमारी
सीबीआई ने इस मामले में कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश समेत देशभर में 40 से अधिक स्थानों पर एक साथ छापेमारी की । जांच में यह साफ हुआ कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में यूजी-पीजी बोर्ड के भीतर एक सुनियोजित रैकेट चल रहा था, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत भी थी ।
सूत्रों के अनुसार, देशभर के आठ राज्यों के निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर 1,300 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत लेने के प्रमाण सीबीआई की जांच में सामने आए हैं ।
कॉलेज की मान्यता रद्द
रिश्वत कांड के खुलासे के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को जीरो ईयर घोषित कर दिया, जिससे 2025-26 सत्र में इस कॉलेज में कोई नया दाखिला नहीं हो सका । छत्तीसगढ़ में पांच निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रोकी गई थी, जिसमें से चार को क्लीयर कर दिया गया, लेकिन रावतपुरा मेडिकल कॉलेज की मान्यता बहाल नहीं की गई ।
 
 



 
						



