Chhattisgarh : 1000 शिक्षकों की याचिका, रोज हो रही थी सुनवाई, इस मामले में हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक हजार से अधिक शिक्षकों द्वारा क्रमोन्नत वेतनमान की मांग पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में दूसरी बार है, जब इतने बड़े पैमाने पर एक ही मुद्दे को लेकर शिक्षक संगठन ने याचिकाएं दायर की हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षकों के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि इससे पहले शिक्षिका सोना साहू के प्रकरण में हाई कोर्ट ने क्रमोन्नत वेतनमान देने का आदेश दिया था, जिसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून का प्रश्न अभी खुला है और इसका अंतिम समाधान होना बाकी है।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि सोना साहू के आदेश को अन्य मामलों पर क्यों लागू किया जाए, खासतौर पर तब जब आदेश पंचायत शिक्षकों के लिए जारी किया गया था और उनके विभागीय संविलियन के बाद शिक्षा विभाग में नियुक्ति हुई है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि क्रमोन्नति का लाभ नियुक्ति तिथि से मिलेगा या संविलियन तिथि के बाद।
राज्य शासन की तरफ से अधिवक्ताओं ने तर्क देते हुए कहा कि 2017 में जारी सर्कुलर केवल नियमित शासकीय शिक्षकों के लिए लागू था और याचिकाकर्ता शिक्षक 2018 में संविलियन के बाद ही शासकीय सेवक बने हैं, इसलिए उनकी सेवा अवधि की गणना उसी वर्ष से होगी न कि पंचायत सेवा के शुरुआती वर्ष से। राज्य सरकार ने 6 नवंबर 2025 को जारी नवीन परिपत्र का हवाला देते हुए कहा कि क्रमोन्नति देने के आधार को लेकर अब स्थिति स्पष्ट की जा चुकी है। साथ ही यह भी कहा गया कि सोना साहू की परिस्थितियां वर्तमान याचिकाओं से अलग हैं।






