छत्तीसगढ़ में स्कूलों के बाद अब कॉलेजों और विश्वविद्यालय में भी आवारा कुत्तों की निगरानी करेंगे प्रोफेसर

छत्तीसगढ़ के कॉलेज कैंपस में अब आवारा कुत्तों पर भी क्लास शुरू हो गई है। नए आदेश के बाद प्रोफेसर सिर्फ लेक्चर ही नहीं, कैंपस में घूम रहे कुत्तों और खुले में रखी खाद्य सामग्री पर भी नजर रखेंगे, ताकि किसी तरह की घटना होने से पहले ही स्थिति संभाली जा सके।
उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश किया है जारी
उच्च शिक्षा विभाग ने सभी शासकीय-अशासकीय कॉलेजों और सरकारी-निजी विश्वविद्यालयों को आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। हर संस्थान में एक प्रोफेसर या सहायक प्रोफेसर को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा, जो पूरे कैंपस में कुत्तों और अन्य आवारा पशुओं की स्थिति पर नजर रखेगा।

प्रोफेसरों की नई जिम्मेदारी
नोडल अधिकारी प्रोफेसर को यह देखना होगा कि कैंपस में कहीं भी कुत्ते झुंड बनाकर न घूम रहे हों और छात्र-छात्राओं के आने-जाने वाले रास्ते सुरक्षित रहें। यदि परिसर में आवारा कुत्ते या अन्य जानवर दिखते हैं, तो संबंधित निकाय या विभाग से तुरंत संपर्क कर उन्हें हटवाने की जिम्मेदारी भी उसी प्रोफेसर की होगी।
खाने-पीने की चीजों पर भी नजर
आदेश में साफ कहा गया है कि कैंटीन या हॉस्टल एरिया के आसपास खाद्य सामग्री खुले में नहीं छोड़ी जाए, ताकि उसकी गंध से आवारा कुत्ते और पशु आकर्षित न हों। कॉलेज प्रबंधन को कूड़ेदान, मेस वेंडर और अनौपचारिक ठेलों की भी मॉनिटरिंग करनी होगी, जिससे कैंपस के अंदर बेवजह कुत्तों की आवाजाही कम की जा सके।
सुरक्षा के नाम पर सख्ती
प्रदेश में स्कूलों के बाद अब कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी छात्रों की सुरक्षा को लेकर सख्त इंतजाम किए जा रहे हैं, पिछली घटनाओं और न्यायालय के निर्देशों को आधार बनाकर यह कदम उठाया गया है। विभागीय मानना है कि यदि समय रहते कैंपस में कुत्तों की संख्या और मूवमेंट को नियंत्रित कर लिया जाए, तो काटने या हमला जैसी घटनाओं का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।






