छत्तीसगढ़ सरकार बढ़ाती रही शराब बिक्री का लक्ष्य, मदिरा प्रेमी तोड़ते रहे, बिक्री का अंतिम लक्ष्य भी पार
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करने का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार शराबबंदी से पूर्व इसके सामाजिक आर्थिक परिणामों का अध्ययन करा रही है। इधर, मदिरा प्रेमी रोज नया रिकार्ड बना रहे हैं। वर्ष 2022-23 में आबकारी विभाग ने शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य बार-बार बढ़ाया। हालांकि मदिरा प्रेमियों ने विभाग का अंतिम लक्ष्य भी पार कर दिया है।
सरकार बढ़ाती रही बिक्री का लक्ष्य, मदिरा प्रेमी तोड़ते रहे
इस वर्ष राज्य में 15 हजार करोड़ रुपये की शराब बेची गई जिससे सरकार को 6800 करोड़ रुपये का टैक्स मिला है। यह निर्धारित लक्ष्य से 300 करोड़ रुपये अधिक है। आबकारी विभाग ने वर्ष के प्रारंभ में 5000 करोड़ राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया था। बाद में इसे बढ़ाकर 5500 करोड़ फिर 6500 करोड़ किया। इसके विरूद्ध मिला 6800 करोड़। शराब में लगने वाले टैक्स में दस रुपये प्रति बोतल गोधन न्याय योजना का भी शामिल है। राज्य सरकार की कई योजनाएं शराब से मिलने वाले पर निर्भर हैं।
आबादी के अनुपात में सर्वाधिक खपत छत्तीसगढ़ में
नेशनल हेल्थ सर्वे 2022 की दिसंबर महीने की रिपोर्ट बताती है कि आबादी के अनुपात में सर्वाधिक शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। यहां 35.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। 34.7 प्रतिशत मदिरा प्रेमियों के साथ त्रिपुरा दूसरे व 34.5 प्रतिशत के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
आबकारी विभाग के अनुसार लक्ष्य से अधिक राजस्व मिला है। ऐसा इसलिए है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में शराब की कीमतों में वृद्धि की गई थी।
साल-दर-साल बढ़ता राजस्व
वित्तीय वर्ष-प्राप्त राजस्व
2020-21-4636 करोड़
2020-21-5110 करोड़
2022-23-6800 करोड़