शिक्षक पोस्टिंग मामला : हाई कोर्ट के स्टे के आदेश के बाद नई मुसीबत में फंसे टीचर, पूर्व स्कूल में जॉइनिंग नहीं करने पर अब लटके अधर में..!
रायपुर। शिक्षा विभाग में पोस्टिंग घोटाला उजागर होने के बाद शासन ने संबंधित शिक्षकों की पोस्टिंग रद्द करते हुए उन्हें पूर्व के स्कूल में जॉइनिंग करने का आदेश दिया था। जिलों में इसका पालन करते हुए शिक्षकों को एकतरफा भारमुक्त कर दिया गया मगर अधिकांश शिक्षकों ने पूर्व के स्कूल में जॉइनिंग नहीं दी। अब जब शासन के आदेश पर कोर्ट ने स्टे दे दिया है तब इन शिक्षकों की स्थिति अधर में लटकने जैसी हो गई है। आलम ये है कि लगभग सभी जिलों में अधिकांश शिक्षकों ने भारमुक्त होने के बाद पूर्व स्कूल में जॉइनिंग नहीं दी, जिसके चलते अब वे न तो पोस्टिंग वाले स्कूल और न ही पूर्व स्कूल में ज्वाइन कर सकेंगे।
रायपुर जिले में केवल 3 ने की जॉइनिंग
दरअसल शासन के पोस्टिंग निरस्तीकरण आदेश के बाद सभी शिक्षक भारमुक्त तो हो गए लेकिन हाई कोर्ट से स्टे मिलने की उम्मीद में अधिकांश शिक्षकों ने पूर्व के स्कूल में उपस्थिति नहीं दी। उम्मीद के मुताबिक कोर्ट ने आदेश पर स्टे भी लगा दिया, मगर स्टे का मतलब होता है ‘यथास्थिति’ बनाये रखना। रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय ने TRP NEWS को बताया कि कोर्ट के स्टे लगने से पूर्व तक जिले भर में केवल 3 शिक्षकों ने ही पूर्व के स्कूल में जॉइनिंग दी है, जबकि कुल 259 शिक्षकों को भारमुक्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अब बाकी शिक्षक भारमुक्त ही रहेंगे। वे न तो पोस्टिंग वाली जगह और न ही पूर्व के स्कूल में ज्वाइन कर सकेंगे, क्योंकि कोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया है।
बिलासपुर जिले के DEO दिनेश कौशिक ने भी बताया कि कल तक उनके जिले में केवल 3 शिक्षकों ने ही पूर्व के स्कूल में जॉइनिंग दी थी।
यहां शिक्षकों को भारमुक्त रखने का स्पष्ट आदेश
प्रदेश के अधिकांश संभाग मुख्यालय से संयुक्त संचालकों द्वारा हाई कोर्ट के आदेश के पालन में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश जारी कर दिया गया है, मगर बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक ने हाई कोर्ट के आदेश के सन्दर्भ में सपष्ट निर्देश जारी कर कहा है कि भारमुक्त किये गये शिक्षक को भारमुक्त अवस्था में ही रखा जायेगा। इसका मतलब साफ है कि उन्हें ना तो पूर्व पदस्थ संस्था में वापस लिया जायेगा और ना ही जिन संस्था के लिए भारमुक्त किया गया है उस संस्था में कार्यभार ग्रहण कराया जायेगा। जेडी ने सभी डीईओ को भेजे निर्देश में स्पष्ट कहा है कि अगर कोई प्रधान पाठक, शिक्षक पूर्व पदस्थ ( संशोधित) या पदोन्नति पूर्व आदेशित संस्था में कार्यभार ग्रहण करते हैं इसकी जीम्मेदारी डीईओ की होगी।
शिक्षकों और विभाग के लिए गंभीर स्थिति
हाई कोर्ट के स्टे के बाद शिक्षकों के भारमुक्त रहने की स्थिति में अब स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो जाएगी, क्योंकि पोस्टिंग रद्द होने वाले शिक्षकों की संख्या 6 हजार से भी अधिक है, और अनुमान है कि इनमें से अधिकांश शिक्षक भारमुक्त की स्थिति में हैं। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक हाई कोर्ट का फैसला न आ जाये। इस बीच फैसला आने में अगर लंबा समय खिंच गया तो संबंधित शिक्षक गैरहाजिर की स्थिति में रहेंगे और स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भारी कमी हो जाएगी।
देखें हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर के सन्दर्भ में जारी यह आदेश :