छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

झीरम हमले के जांच की जिम्मेंदारी अब छत्तीसगढ़ पुलिस पर, NIA को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका

रायपुर। झीरम कांड की जांच पर सुप्रीम कोर्ट से NIA को बड़ा झटका लगा है। उल्लेखनीय है कि, साल 2013 में बस्तर के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में प्रदेश के कई बड़े कांग्रेसी नेताओं समेत 32 लोगों की जान गई थी।

इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा 2020 में दर्ज की गई थी नई FIR उसी के खिलाफ NIA ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। NIA की उसी याचिका को खारिज करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, माओवादी हमले में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों का मामला चलता रहेगा।

हम मामले में दखल नहीं देंगे – सुप्रीम कोर्ट
उल्लेखनीय है कि, सुकमा के झीरम घाटी में 2013 में माओवादियों के हमले में 32 लोग मारे गए थे, इनमें कई कांग्रेस नेताओं की भी मौत हुई थी। इस मामले की जांच NIA द्वारा किये जाने के बावजूद राज्य पुलिस से जांच कराये जाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।

क्या हुआ था झीरम घाटी में
ज्ञात हो कि, 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में बड़े नक्सली हमले को अंजाम दिया गया। इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं समेत कुल 32 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। छत्तीसगढ़ के लिए झीरम घाटी कांड एक कभी न भरने वाले घाव की तरह है। 10 साल बाद भी इस हत्याकांड का रहस्य अनसुलझा है। हम अब तक झीरम कांड के गुनहगारों तक नहीं पहुंच पाए हैं। कांग्रेस ने पिछले साल से ही इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की है। बहरहाल इस हत्याकांड के कई रहस्य अब तक अनसुलझे हैं और पता नहीं कब तक झीरम घाटी के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा।

हुई थी 32 लोगों की हत्या
शाम को 4 बजे काफिला जैसे ही झीरम घाटी से गुजरा, तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता रोक दिया। कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। करीब डेढ़ घंटे तक गोलियां चलती रहीं. इसके बाद नक्सलियों ने एक-एक गाड़ी को चेक किया. जिन लोगों की सांसें चल रहीं थी उन्हें फिर से गोली मारी। जिंदा लोगों को बंधक बनाया. हमले में 32 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। बताया जाता है कि नक्सलियों का मुख्य टारगेट बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि नक्सलियों ने कर्मा को करीब 100 गोलियां मारी थीं और चाकू से शरीर पूरी तरह छलनी कर दिया था. बताया जाता है कि नक्सलियों ने उनके शव पर चढ़कर डांस भी किया था।

खत्म हो गई थी कांग्रेस की टॉप लीडरशिप
साल 2013 के आखिर में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। पिछले 2 बार से भाजपा की सरकार थी। 10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस पूरा जोर लगाना चाह रही थी। कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने का ऐलान किया था। 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। 25 गाड़ियों में करीब 200 लोग थे, कांग्रेस नेता कवासी लखमा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेन्द्र कर्मा, मलकीत सिंह गैदू और उदय मुदलियार समेत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लगभग सभी शीर्ष नेता काफिले में शामिल थे।

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