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रायपुर : कोल्हान का सूखा कंठ, कभी गर्मी में भी सिचाई और निस्तारी के आता था काम…देखे पूरी खबर

रायपुर : भीषण गर्मी और तेजी से गिर रहे वॉटर लेवल से नदी-नाले सूख रहे हैं। तालाबों में धुल उड़ रहें हैं तो नलकूपों के हलक सूख गए हैं। तिल्दा और धरसींवा क्षेत्र का जीवनरेखा माने जाने वाला कोल्हान नाला भी भीषण गर्मी के चलते पूरी तरह सूख चुका है। कहीं-कहीं नाम मात्र का ही पानी शेष रह गया है। पूरे बारह महीने पानी से लबालब रहने वाला कोल्हान का कंठ सूख रहा है। ऐसे में आज भी इसके पानी पर निर्भर दर्जनभर से भी ज्यादा गांवो के ग्रामीणों के माथे पर बल पड़ने लगा है। क्योंकि रबी सीजन में यह सिचाई का सबसे बड़ा और प्रमुख साधन माना जाता है। बताते चलें कि, प्रचंड धूप और गर्मी से सूख चुके नाले पर सिचाई और निस्तारी के लिए धरसींवा-तिल्दा के दर्जनों गांव के लोग आज भी आश्रित है। सीमा के कई गांवों से होते हुए बहने वाला कोल्हान नाला कभी पानी से खाली नहीं होता था। लेकिन तेजी से गिरते जलस्तर और भीषण गर्मी से अब खुद प्यासा नजर आ रहा है।

बरसात में रौद्र रूप धरकर उफनने वाला, तो ठंड के दिनों में भरपूर पानी से छलकने वाला कोल्हान बीते कुछ सालों से गर्मी में सूख जाता है। आसपास गांव के बुजुर्गों ने बताया कि, पहले गर्मी में भी नालें में खूब पानी रहता था। किसान खेतों के सिचाई के लिए यहां से पानी ले जाया करते थे। बदरा की दगाबाजी और मौसम के धोखेबाजी जैसे मुश्किल वक्त में यही कोल्हान दर्जनों गांवों का लाइफ लाइन बन जाता था। मगर अफसोस कि अब यही कोल्हान चुल्लू भर पानी के लिए तरस रहा है। नाले के सूखने से सबसे ज्यादा परेशानी पशु-पक्षियों को हैं। क्योंकि इन्हीं के सहारे पशु-पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं। बता दें कि, कोल्हान नाला के तट पर कई जगहों में मंदिर और पिकनिक स्पॉट है। जहां घूमने के लिए लोग रोज आते हैं। कोल्हान की खूबसूरती को निहारते है लेकिन इसमें पानी नहीं होने से लोग मायुस नजर आते हैं।

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