छत्तीसगढ़सरगुजा संभाग

बालोद जिले के लिए खतरे की घंटी वाटर लेवल रेड जोन में, अब चलाया जा रहा अभियान

छत्तीसगढ़ में नौतपा के ताप से हर कोई परेशान हो चला है इसी बीच बालोद जिले के लिए एक खतरे की घंटी सामने आई है यहां भूमिगत जल स्त्रोत के मामले में जिले का गुरुर विकासखंड रेड जोन में हैं यहां पर भूमिगत जलस्त्रोत 500 मीटर से भी नीचे चला गया है और जल शक्ति मंत्रालय ने पहले ही इसे डेंजर जोन में रखा है अब भारी जल संकट को देखते हुए प्रशासन अभियान चला रही है गुरूर विकासखण्ड के 121 गांव में पानी को संरक्षित करने अभियान चलाया जा रहा है जल संरक्षण का महाअभियान जल संरक्षण पखवाड़ा के अंतर्गत घरों में सोकपिट एवं रिचार्ज पिट निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है।

बालोद जिला प्रशासन द्वारा जिले में जल संरक्षण महाअभियान के अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड के 78 ग्राम पंचायतों के 121 गांव में बारिश में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को संरक्षित करने के लिए महाअभियान चलाया जा रहा है। जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि जिसके अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड के कुल 30 हजार 899 परिवार के घरों में सोकपीट एवं रिचार्ज पिट निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें से जल शक्ति अभियान 2019 के तहत 13 हजार 858 परिवार एवं स्वप्रेरणा से 3570 परिवारों के घरों में सोकपीट का निर्माण किया जा चुका है। जिसमें से 10431 सौकपीट क्रियाशील है तथा 3420 अक्रियाशील है, जिसे प्रथम पखवाड़े में क्रियाशील बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीणों को कर रहे प्रेरित सामुदायिक भवन एवं अन्य स्थानों में 1379 सामुदायिक सोकपीट एवं रिचार्ज पीट का निर्माण किया गया है। साथ ही शेष बचे 17 हजार 41 परिवारों में सोकपीट निर्माण के लिए प्रचार-प्रसार के माध्यम से ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है।

जिला कार्यालय द्वारा जल स्तर संरक्षण एवं भू-जल स्तर बढ़ाने के लिये 22 मई से 05 जून तक जल संरक्षण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड एवं जिला स्तर के अधिकारी-कर्मचारी लगातार गांव-गांव में पहुंचकर व्यक्तिगत रूप से सोकपीट एवं वाटर रिचार्ज पिट निर्माण किये जाने हेतु रैली, नारा के माध्यम से जनसमुदाय को जल संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

2019 में चला था अभियान
जल शक्ति मिशन के तहत वर्ष 2019 में भी विशेष अभियान चलाया गया था जिसके बाद भी उस क्षेत्र में सबसे ज्यादा धान की फसल ली जाती है जिसके कारण काफी मात्रा में जल स्त्रोतों में कमी देखने को मिल रही है प्रशासन द्वारा समय-समय पर दलहन तिलहन खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है परंतु लोग धन की फसल को लेकर सबसे ज्यादा आकर्षित रहते हैं लेकिन ये भविष्य में बूंद बूंद पानी के लिए तरसने के संकेत हैं यदि जल संकट को लेकर अभी से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाली पीढ़ी बूंद बूंद भर पानी के लिए तरस सकती है।

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