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संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के भगवा कपड़ों में पोस्टर लगाने पर विवाद , हिंदू संगठनों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई

तमिलनाडु में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के भगवा कपड़ों में पोस्टर लगाने पर विवाद जारी है. अब इस मामले में आरोपियों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है. पुलिस ने इस मामले में हिंदू संगठन इंदू मक्कल काची के कुंभकोणम जिला सचिव गुरुमूर्ति को गिरफ्तार किया था. अब गुरुमूर्ति पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है.

अभी तक कुंभकोणम उप जेल में बंद कर थे. अब उन्हें तिरुचि केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया है. मंगलवार 21 दिसंबर को तंजावुर के जिला कलेक्टर दिनेश पोनराज ओलिवर के आदेशों के आधार पर गुंडा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया. बता दें कि तमिलनाडु के कुंभकोणम जिले में ये पोस्टर 6 दिसंबर को बाबा साहेब की पुण्यतिथि के मौके पर लगाए गए थे.

IMK संस्थापक की गिरफ्तारी की मांग
इन विवादित पोस्टरों में बाबा साहेब को भगवा रंग के कपड़ों में दिखाया गया था. उनके माथे पर विभूति से त्रिपुंड बनाकर कुमकुम से टीका लगाया गया था. इन पोस्टरों पर विवाद शुरू हो गया था. विदुतलई चिरुतैगल काची के सदस्यों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था. वीसीके का कहना था कि इन पोस्टरों के जरिए उन्हें दक्षिणपंथी दिखाने की कोशिश की जा रही है. लोगों ने आईएमके संस्थापक अर्जुन संपत की गिरफ्तारी की मांग की थी.

पुलिस ने प्रेस मालिक को भी किया गिरफ्तार
वहीं, अर्जुन संपत ने इन पोस्टरों का समर्थन करते हुए कहा था कि डॉ. अंबेडकर पूरे देश के नेता हैं. विवाद बढ़ने पर इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इंदू मक्कल काची के कुंभकोणम जिला सचिव गुरुमूर्ति को हिरासत में ले लिया था. गुरुमूर्ति के अलावा विवादित पोस्टर छापने वाले प्रेस मालिक मणिकंदन को भी गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

6 दिसंबर को थी डॉ. अबेंडकर की पुण्यतिथि
बता दें कि कि 6 दिसंबर को भारत के संविधान निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है. बाबा साहेब की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ तमाम बड़े राजनेताओं ने उनको श्रद्धांजलि दी थी. अपने जीवन में डॉ. अंबेडकर ने दलितों, मजदूरों और महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कई बड़े सुधारों की नींव रखी. आजाद भारत में प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देने के लिए उनके संघर्ष ने देश की मौजूदा सामाजिक और कानूनी व्यवस्था को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई.

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