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Raipur Light Metro : राजधानी रायपुर के ‘लाइट मेट्रो’ MoU पर उठने लगे सवाल, मूणत के बाद साव ने भी कहा महापौर ढेबर के अधिकार विहीन है MoU साइन करना

Raipur Light Metro : विधायक और पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बाद डिप्टी सीएम अरुण साव ने भी मेयर के रुस दौरे और मेट्रो को हुए MoU को लेकर सवाल उठाए है उन्होंन कहा कि महापौर एजाज ढेबर की रूस यात्रा व्यक्तिगत है। इसमें सरकार शामिल नहीं है। न ही सरकार से कोई अनुमति ली गई है, फिर MoU कैसे हो गया। अरुण साव ने कहा कि अपनी निजी यात्रा के दौरान खुद को शासकीय प्रतिनिधि के तौर पर पेश करके मास्को में कथित MOU किया है,जो वैद्य नहीं हैं। मेयर ने जनता के साथ विश्वासघात किया है
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बता दे कि रायपुर मेयर एजाज ढेबर ने एक दिन पहले मीडिया को बताया कि, रशियन टेक्नोलॉजी से रायपुर-दुर्ग के बीच लाइट मेट्रो चलेगी। इसके लिए मॉस्को में आयोजित इंटरनेशल ट्रांसपोर्ट मीट में रायपुर नगर निगम और मॉस्को के बीच MoU हुआ है। इस पर मेयर ढेबर, मॉस्को के मेयर और ​रशिया ट्रासपोर्ट मिनिस्टर ने साइन किया है। बता दे कि अभी भी मेयर एजाज ढेबर इस समय रूस के दौरे पर हैं। मेयर ने यह भी बताया कि जल्द ही रूस के एक्सपर्ट रायपुर पहुंचेगे। ज्वाइंट वेंचर में यह काम किया जाएगा। साथ ही इलेक्ट्रिक सिटी बसों के संचालन को लेकर सुझाव देगी और स्काई-वॉक को भी देखेगी। अगर उस पर लाइट मेट्रो चलाई जा सकती है, इस पर भी विचार किया जाएगा।

ढेबर ने बताया था कि साल 2022 से हम रायपुर में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने और लाइट मेट्रो को लेकर रशिया से संपर्क कर रहे थे। 2023 में भी जब ट्रांसपोर्टेशन समिट हुआ था तब भी वे रशिया गए थे। दो-तीन दिन में मास्को के ट्रासपोर्ट मिनिस्टर और यहां के मेयर को मेल किया करते थे। तीन साल बाद सफलता मिली है।

MoU की भारत में नहीं है कोई वैधता – राजेश मूणत
मूणत ने कहा- रूस में ढेबर जिस परिवहन विकास विभाग की बैठक में हिस्सा लेने की बात कह रहे हैं, उसका निमंत्रण मास्को शहर के डिप्टी मेयर ने दिया था, न कि वहां की सरकार ने। मेयर ढेबर जिस लाइट मेट्रो के MoU की बात कर रहे हैं, ऐसा दूसरे देश के साथ तभी हस्ताक्षरित किया जा सकता है, जबकि संबंधित विभाग-पदाधिकारी को केंद्र सरकार की समिति से मंजूरी मिली हो। अगर मेयर ने कथित MoU पर दस्तखत किए हैं, तो इसकी भारत में कोई वैधता ही नहीं है। यह उनकी व्यक्तिगत यात्रा है। इसके लिए राज्य सरकार से न अनुमति मांगी गई, न दी गई। वे सरकार का प्रतिनिधित्व कर ही नहीं रहे हैं। इसलिए यह दौरा सरकारी नहीं है।
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