छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

क्या छत्तीसगढ़ की तरह ही हरियाणा में हो गया खेला..? भूपेश बघेल ने बताया हार का कारण

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस की जीती हुई बाजी अपने पाले में पलट ली,राजनीतिक पंडितो और एक्जिट पोल के सारे अनुमान धराशायी करते हुए भाजपा ने कांग्रेस को पटखनी देते हुए लगातार हैट्रिक बनाने में कामयाब रही, 90 -90 सीट वाले हरियाणा और छत्तीसगढ़ चुनाव में शुरुआती बढ़त कांग्रेस के पक्ष में दिखी पर दोनो जगह यह बढ़त बरकरार नहीं रह पाई नतीजतन कांग्रेस बुरी तरह से हार गई, हरियाणा कांग्रेस के लिए यह नतीजे ठीक वैसे ही हैं जैसे कि कुछ ही समय पहले छत्तीसगढ़ में देखने को मिले थे.जिसे लेकर पूर्व सीएम ने भी शंका जाहिर की…देखे भूपेश बघेल ने क्या कहा

हरियाणा में भाजपा का प्रचंड बहुमत निश्चित रूप से 3 दिसंबर, 2023 की यादें ताजा कर देता है, जब छत्तीसगढ़ के नतीजों ने भी इसी तरह कांग्रेस के लिए कयामत ढायी थी. जबकि सर्वे एजेंसियों और राजनीतिक पंडितों ने हरियाणा के राजनीतिक अखाड़े में भी कांग्रेस की ही जीत पर अपना विश्वास जताया था. ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ चुनाव में भी देखने को मिला था. तब भी तमाम एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बन रही थी, लेकिन नतीजे आए तो क्लियर हुआ कि जनता ने भाजपा पर ही अपना भरोसा जताया है.

सैलजा बनाम हुड्डा तो बाबा बनाम काका
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की आधी जीती हुई लड़ाई हारने का एक बड़ा कारण दो दिग्गजों – पूर्व सीएम भूपेश बघेल और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव के बीच प्रमुख सार्वजनिक लड़ाई थी. इससे मशीनरी का विभाजन भाजपा के पक्ष में देखने को मिला था. इसी तरह हरियाणा में भी दो प्रमुख खिलाड़ियों कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुडा के बीच दरार साफ दिखी. राहुल गांधी के प्रयासों के बावजूद, दोनों अंत तक मंच साझा करने में सहज नहीं दिखे.

अंदरूनी कलह ले डूबी
राजनीतिक पंडितों की माने तो हरियाणा और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा की संभावनाओं के बीच मुख्य अंतर उनकी अपनी-अपनी पार्टियों पर मजबूत पकड़ है. इन दोनों ही चुनावों में कांग्रेस का अंदरूनी कलह पर कोई नियंत्रण नहीं था, जिसके परिणामस्वरूप दोनों राज्यों में कांग्रेस की हार हुई.

भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई
हरियाणा में भी छत्तीसगढ़ की तरह भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखा गया. प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ी जैसे कि दुष्यन्त चौटाला की जेजेपी, अभय चौटाला की INLD भी कोई खास फर्क नहीं दिखा पाए. इसी तरह, छत्तीसगढ़ में, अजीत जोगी की जेसीसी और अन्य आदिवासी पार्टियां अपनी छाप छोड़ने में विफल रहीं थीं, जिससे राज्य की लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई में बदल गई.

महतारी वंदन और लाडो लक्ष्मी योजना बनी वरदान
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रिपिट होने के दावों के बीच भाजपा ने ‘महतारी वंदन योजना’ का जो दांव खेला वह कांग्रेस पर भारी पड़ गया, छत्तीसगढ़ में इसके परिणाम से उत्साहित भाजपा ने हरियाणा में भी ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ की की घोषणा की, जो महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने का वादा करती है. इसने भी बीजेपी के पक्ष में काम किया है

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