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भूपेश बघेल का करीबी तांत्रिक केके अब उगलेगा राज !….मिली सात दिनों की रिमांड

छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के करीबी तांत्रिक केके श्रीवास्तव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. 15 करोड़ की ठगी के मामले में गिरफ्तार केके श्रीवास्तव को 7 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है. अगले 7 दिनों तक पुलिस 300 करोड़ के घोटाले के मामले में पूछताछ करेगी.

छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के करीबी केके श्रीवास्तव की तकरीबन साल भर से पुलिस को तलाश थी. आखिरकार भोपाल के होटल से केके श्रीवास्तव को पकड़ने में EOW को सफलता हासिल हुई. वह बड़ी ही चालाकी से हुलिया बदलकर भोपाल में रह रहा था, लेकिन उसका बदला हुलिया उसे बचा नहीं पाया.

CEO रहते हुए घोटाला
केके श्रीवास्तव 1992 में तत्कालीन MP सरकार के दौरान साडा रतनपुर में CEO के तौर पर पदस्थ हुआ. लेकिन 3 साल में ही इनके अंदर का नटवरलाल अंदर से निकल आया और मार्च 1995 में केके के खिलाफ एक मामले पर गड़बड़ी साबित हुई और इसके बाद इसे निलंबित कर दिया गया.

छत्तीसगढ़ का ‘नटवरलाल’ केके श्रीवास्तव
निलंबित होने के बाद केके श्रीवास्तव ने लाइजनिंग का काम शुरू किया. जमीन की अच्छी जानकारी होने के कारण अधिकारियों के करीबी रहे और एक माइंस के लिए लाइजनिंग का काम किया. काम के दौरान रसूखदारों के संपर्क में आया और श्री डेरे में तांत्रिक क्रिया का दायरा बढ़ाया. धीरे धीरे तंत्र मंत्र का जाल श्रीवास्तव ने और फैलाया. बिलासपुर के महाराणा प्रताप चौक इलाके में श्रीवास्तव का बड़ा बंगला है जहां तंत्र-मंत्र का बड़ा केंद्र बनता चला गया.

तंत्र मंत्र का फैलाया जाल
फिर कांग्रेस सरकार में केके के निवास पर बड़े-बड़े बाबा, अधिकारी और राजनेताओं का आना-जाना लगा. लोग उनके पास अपनी समस्या और काम लेकर आने लगे. केके अब बाबा बनकर पैसे कमाने का जरिया ढूँढने लगा. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान तांत्रिक केके श्रीवास्तव ने ब्लैकस्मिथ कंपनी खड़ी की और राजनितिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए बालको के पॉवर प्लांट से निकलने वाले फ्लाई एश (राखड़) के परिवहन का काम लिया. रसूख के चलते केके को राखड़ के परिवहन के काम में खुली छूट मिली.

कांग्रेस सरकार में केके थे बल्ले बल्ले
आलम यह रहा कि इस काम के दौरान राखड़ ढोने वाले कहीं भी उसे फेंकने लगे और पूरा कोरबा शहर राखड़ से प्रदूषित हो गया. इसके बावजूद ब्लैकस्मिथ कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. वहीं हसदेव नदी के किनारे राखड़ फेंकने और लोगों की जमीन को प्रदूषित करने के खिलाफ आंदोलन के बाद भी इसका कोई बाल-बांका नहीं हुआ. लेकिन सरकार बदलने के बाद कोयला घोटाले में कार्रवाई की धूम मची और ईडी केके श्रीवास्‍तव के यहां ED दबिश देने पहुंच गई. यह मामला कोयला में लेवी वसूली के मामले की जांच करने से जुड़ा था. टीम उनके बिलासपुर आवास और कोरबा कार्यालय में 28 मार्च 24 को पहुंची, लेकिन KK को तब इतनी गंभीरता से ED नहीं ले रही थी क्योंकि सौम्या चौरसिया, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी जैसे बड़े नाम ED की आँखों में पहले से तैर रहे थे.

कांग्रेस की सरकार में खासा दबदबा रखने वाले सीएम हाउस तक बिना रोक-टोक आने-जाने वाले श्रीवास्तव के खिलाफ एक आदमी मुकदमा दर्ज कराने पहुंचा. बिलासपुर के केके श्रीवास्तव पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप लगा और यहीं से केके की उल्टी गिनती शुरू हो गई.

जाने कैसे आया EOW के राडार में
यूपी के रावत एसोसिएट के एडमिन मैनेजर अजय कुमार ने करीब एक साल पहले शिकायत दर्ज कराई. अजय के मुताबिक केके श्रीवास्तव ने उनके मालिक अर्जुन रावत को 500 करोड़ का काम दिलाने का आश्वासन दिया और फिर फर्जी दस्तावेज भेजकर ठगी की. श्रीवास्तव के साथ उसके बेटे कंचन श्रीवास्तव के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई. एफआईआर में यह दर्ज किया गया है कि प्रदेश के सबसे बड़े नेता भगोड़े ठग केके श्रीवास्तव से तांत्रिक पूजा करवाते थे. भगोड़े ठग पर आरोप है कि वो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में सबसे बड़े नेताओं का करीबी था.

शिकायतकर्ता अजय कुमार ने पुलिस को बताया कि ग्रेटर नोएडा में रावत एसोसिएट का ऑफिस है. एक ऑफिस रायपुर लाभांडी में भी है. रावत एसोसिएट हाईवे कंस्ट्रक्शन, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, रोड कंस्ट्रक्शन और सरकारी बिल्डिंग निर्माण का काम करती है. काम के सिलसिले में कारोबारी अर्जुन रावत जून 2023 में रायपुर आए हुए थे. रायपुर में आचार्य प्रमोद कृष्णम के माध्यम से उनकी केके श्रीवास्तव से जान पहचान हुई.

प्रोजेक्ट ने नाम पर की करोड़ों की ठगी
केके श्रीवास्तव ने कारोबारी रावत से मुलाकात के दौरान कहा कि राजनेता के भाई असगर को रायपुर स्मार्ट सिटी में 500 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला है. वो प्रोजेक्ट को सबलेट (पेटी कॉन्ट्रैक्ट देना) करना चाहता है, जिसके लिए सरकार को 15 करोड़ रुपए सिक्योरिटी मनी जमा करना है. कारोबारी को झांसे में लेने के लिए ठग ने उसे प्रोजेक्ट के दस्तावेज भी दिखाए.

श्रीवास्तव की बातों में आकर कारोबारी रावत प्रोजेक्ट में काम करने के लिए तैयार हो गया और ठग के बताए अकाउंट में 8 दिन में 15 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए. पैसा लेने के बाद तय समय पर श्रीवास्तव कारोबारी को प्रोजेक्ट नहीं दिलवा पाया, तो कारोबारी ने अपने पैसे मांगे। जब कारोबारी लगातार पैसों की मांग करने लगा तो श्रीवास्तव उसे गुमराह करने के लिए कंचन श्रीवास्तव समेत कुछ फर्मों के चेक दिए. कारोबारी ने पैसे निकालने के लिए जब बैंक में चेक लगाए, तो पता चला, कि आरोपी ने चेक देने के बाद उसे स्टॉप श्रेणी में डाल दिया है.

इस हरकत के बाद कारोबारी ने श्रीवास्तव को फोन लगाया तो उसने नक्सली और राजनैतिक रसूखदारों से जान पहचान होने की बात बोलकर उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी. आरोपी की इस हरकत के बाद कारोबारी ने मामले की शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू की. शिकायतकर्ता अजय कुमार ने पुलिस को बताया कि आरोपी श्रीवास्तव ने रावत एसोसिएट का पैसा गबन करने के लिए उनकी कंपनी ग्लोमैक्स इंडिया और छत्तीसगढ़ सरकार का एक फर्जी दस्तावेज बनाकर भेजा था. इस दस्तावेज को देखने के बाद श्रीवास्तव के बताए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए गए.

जांच में हुए कई खुलासे
पुलिस के अनुसार आरोपी श्रीवास्तव के अकाउंट्स की जांच के दौरान पता चला कि आरोपी ने पैसा 80 से ज्यादा बार में अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर किया है. जिन अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया, उनकी जांच भी जारी है. जांच में ठग केके श्रीवास्तव के खातों की जांच में 300 करोड़ का लेन-देन मिला. ये खाते EWS मकानों में रहने वालों के नाम पर निकले. पुलिस और एनी एजेंसियों के कान खड़े हो गए. पुलिस ने FIR के बाद आरोपी पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के लिए बिलासपुर समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दबिश दी. इस दौरान वे नहीं मिले तो दोनों को भगोड़ा साबित कर दिया गया. आरोपियों का पता बताने वाले को 10 हज़ार इनाम देने की भी घोषणा की गई लेकिन फिर भी आरोपी नहीं नहीं मिले.

समय बीता और फिर शिकायतकर्ता और केके श्रीवास्तव के बीच समझौता हो गया. केके श्रीवास्तव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली. केके ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन लगाया था. उनकी पैरवी करने वाले एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि यह आपसी लेनदेन का मामला है. याचिकाकर्ता ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है. लिहाजा, उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए. लेकिन कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया की कल तक जो ठगी का आरोप लगा रहा था आज कैसे समझौता कर रहा है. चीफ जस्टिस सिन्हा ने इसे गंभीर मामला बताते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर दिया और यही नहीं करोड़ों रुपए के लेनदेन और पूरे मामले की अच्छे से जांच करने को कहा.

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