छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद क्या कुछ बदल जाऐगा…जाने सब कुछ

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अब पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जाएगी. सीएम साय ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसकी घोषणा की ही. फिलहाल अभी केवल रायपुर को इसमें शामिल किया गया है.

ADG/IG को मिलेगी कमान
रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से एसपी की जगह पुलिस कमिश्नर मुख्य होंगे, जो आमतौर पर एडीजी या आईजी रैंक के आईपीएस अधिकारी होंगे.. शहर को जोनों में बांटा जाएगा, जिसमें जॉइंट कमिश्नर (जेसीपी), एसपी, डीसीपी और थानेदार एसएचओ कहलाएंगे.

रायपुर की कानून-व्यवस्था होगी सख्त
इस बदलाव से पुलिस को मजिस्ट्रियल पावर मिलेगी, जिससे अपराधों पर त्वरित कार्रवाई संभव होगी और छत्तीसगढ़ इस प्रणाली को लागू करने वाले राज्यों में भी शामिल हो जाएगा, कुल मिलाकर पुलिसिंग को मजबूत करने के लिए यह फैसला लिया गया है

क्या है पुलिस कमिश्नर प्रणाली?
यह प्रणाली मुख्य रूप से 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई है. 2023 में रायपुर और बिलासपुर के लिए प्रस्ताव था, लेकिन अब केवल रायपुर को इसमें शामिल किया गया है. इसका मतलब ये होगा कि कमिश्नरी सिस्टम लागू होते ही पुलिस को कड़े प्रावधान के लिए कलेक्टर के पास नहीं जाना होगा. इसके अलावा मजिस्ट्रेट पॉवर भी पुलिस के पास होगा. यानी कि अब तक जो पॉवर कलेक्टर के पास होता था, अब वो पुलिस के पास भी होगा. पुलिस ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में सीएम साय ने तिरंगा फहराया और अपने संबोधन में कहा कि इस प्रणाली से पुलिस व्यवस्था और अधिक सशक्त होगी तथा कानून-व्यवस्था को नया ढांचा मिलेगा.

पुलिस कमिश्नर प्रणाली एक शहरी पुलिसिंग मॉडल है जिसमें पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्राप्त होती हैं। यह व्यवस्था मुख्य रूप से बड़े महानगरों या महत्वपूर्ण शहरों में लागू की जाती है, ताकि कानून-व्यवस्था बनाए रखने, अपराध रोकने, और त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस को ज्यादा अधिकार और स्वतन्त्रता मिल सके।

इस प्रणाली में पुलिस अधिकारियों को कई कार्यकारी अधिकार मिल जाते हैं, जैसे गिरफ्तारी, प्रतिबंधात्मक कार्रवाई, तथा तत्काल निर्णय लेने की स्वतंत्रता। आमतौर पर इस मॉडल के तहत डीआईजी (DIG) या उससे ऊपर के रैंक के अफसर को कमिश्नर बनाया जाता है। पुलिस कमिश्नर के तहत: संयुक्त आयुक्त (Jt.CP), अपर आयुक्त (Addl.CP), डिप्टी कमिश्नर (DCP), और उनके अधीन कनिष्ठ अधिकारी आते हैं। कमिश्नर को मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ भी मिलती हैं, जिससे वह किसी आपातकालीन स्थिति में फौरी और प्रभावी कार्रवाई कर सकता है। इस प्रणाली से पुलिस की जवाबदेही और लोगों तक त्वरित न्याय पहुँचाने की क्षमता बढ़ जाती है। परंपरागत पुलिस अधिनियम (1861) के तहत पुलिस अधिकारी का नियंत्रण डीएम या कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पास रहता है, जबकि कमिश्नर प्रणाली में वह अधिकार पुलिस अधिकारियों को दिया जाता है।

कहाँ लागू है?
यह व्यवस्था भारत के कई बड़े शहरों—जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, और हाल ही में रायपुर आदि—में लागू है।

पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के फायदे
अपराध पर तेजी से नियंत्रण।
पुलिस को त्वरित निर्णय और कार्रवाई का अधिकार।
आपराधिक गतिविधियों पर सख्त क़ाबू।
शहर में कानून और व्यवस्था को बेहतर बनाना।
जनता की शिकायतों का त्वरित निपटारा।

ख़बर को शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button