छत्तीसगढ़रायपुर संभाग

Chhattisgarh : अब दुसरे धर्मों का दामन थामने वाले ST वर्ग के लोगों को भी नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ

Chhattisgarh : :छत्तीसगढ़ में मतांतरित अनुसूचित जातियों (SC) की तरह अनुसूचित जनजाति (ST) भी सुविधाओं से वंचित होंगे। इसके लिए छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय की सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में एक कड़ा कानून लाने जा रही है। इसमें दोहरा लाभ ले रहे मतांतरितों को सरकारी योजनाओं के लाभ से बाहर करने के प्रविधान विशेष रूप से जोड़े जा रहे हैं।

सीएम साय कह चूके है कठोर कानून लाने की बात
छत्तीसगढ़ में अवैध मतांतरण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार यह कदम उठाने जा रही है। सीएम साय और डिप्टी सीएम विजय शर्मा पिछले दिनों इसे लेकर सार्वजनिक रुप से कह चुके है कि आने वाले विधानसभा सत्र में इसे लेकर सरकार कठोर कानून लाने जा रही है, इसी तरह मंत्री अरुण साव ने कहा कि हम मौजूदा कानून को अधिक प्रभावी और व्यापक बना रहे हैं।

नए कानून में एसटी वर्ग भी दायरे में !
बता दें कि वर्तमान संविधानिक प्रविधान के तहत मतांतरण की स्थिति में एससी वर्ग के लोगों को आरक्षण और अन्य लाभ से वंचित कर दिया जाता है, परंतु एसटी के लिए ऐसा प्रविधान नहीं है। इसी कारण मतांतरित हो चुके आदिवासी न केवल एसटी वर्ग का लाभ लेते हैं, बल्कि ईसाई के रूप में अल्पसंख्यक वर्ग की योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं।

मतांतरण के मामलों में FIR दर्ज
सरकार इस विसंगति को दूर करने के लिए विधि विशेषज्ञों से राय ले रही है। हालांकि इस मामले में केंद्रीय स्तर पर बदलाव करने की आवश्यकता होगी। बता दें कि प्रदेश 44 मतांतरण के मामलों में अब तक FIR दर्ज की गई है। पिछले एक साल में 23 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। वहीं पिछले 2 सालों में मतांतरण के 101 मामले सामने आए हैं।

प्रस्तावित विधेयक में सख्त सजा
प्रस्तावित विधेयक में बिना सूचना के मत परिवर्तन करने या कराने पर 10 वर्ष तक की सजा का प्रविधान होगा। मतांतरण से 60 दिन पहले जिला प्रशासन को सूचना देना अनिवार्य होगा। प्रलोभन व जबरन मतांतरण की परिभाषा को व्यापक बनाया जा रहा है। यह कानून छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की जगह लेगा, जिसमें अभी तक जबरन मतांतरण के लिए केवल एक साल की सजा या 5,000 रु जुर्माना का प्रविधान है।

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