बच्चा रिश्तेदारों से बात नहीं करता? पेरेंट्स को ध्यान दें, सोशल स्किल्स की कमी बन सकती है बड़ी समस्या

बच्चे रिश्तेदारों और फैमिली फंक्शन से कतराते हैं
अकसर देखा जाता है कि टीनएजर बच्चे घर पर आए रिश्तेदारों या मेहमानों से बात करने की बजाय सीधे अपने कमरे में चले जाते हैं। वहां वे घंटों फोन में व्यस्त रहते हैं या दोस्तों से मिलने बाहर जाते हैं, सिर्फ इसलिए कि उन्हें रिश्तेदारों से बातचीत न करनी पड़े। फैमिली फंक्शन में जाने की बात पर भी बच्चे अक्सर बहाने बनाते हैं – पढ़ाई, प्रोजेक्ट या दोस्तों से मिलने का जिक्र।
भले ही शुरुआत में ये आदतें मामूली लग सकती हैं, लेकिन यह भविष्य में बड़ी समस्या बन सकती हैं।
एक्सपर्ट का सुझाव
इंस्टाग्राम वीडियो में थेरेपिस्ट ऋरि त्रिवेदी कहती हैं कि आजकल बच्चों में यह देखा जा रहा है कि वे घर आए मेहमानों और रिश्तेदारों से बात करना पसंद नहीं करते। उन्हें परिवार के फंक्शन में जाना भी अच्छा नहीं लगता। ज्यादातर टीनएजर अपने कमरे में रहना और फोन में बिजी रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
रिसर्च का नजरिया
रिसर्च बताती है कि जिन बच्चों में अकेलापन, डिप्रेशन या पढ़ाई में मुश्किलें होती हैं, या कोई एडिक्शन है, उनके सोशल स्किल्स कमजोर होते हैं। यही कारण है कि पेरेंट्स को बच्चों के सोशल डेवलपमेंट पर भी ध्यान देना चाहिए।
- सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं
- बच्चों के दोस्त और उनके साथ संवाद भी महत्वपूर्ण
- सोशल स्किल्स बच्चों की भावनात्मक मजबूती और आत्मविश्वास के लिए जरूरी
बच्चों को सोशल स्किल्स सिखाना जरूरी
थेरेपिस्ट कहती हैं कि कई पेरेंट्स इसे छोटी बात समझते हैं, लेकिन घर में आए मेहमानों, रिश्तेदारों या नए लोगों से बातचीत सीखना बच्चों के लिए बेहद जरूरी है।
- मेहमान आए तो हल्की-फुल्की बातचीत करना
- पानी या खाने की पेशकश करना
- दोस्त बनाना और संवाद कौशल बढ़ाना
इससे बच्चे इमोशनल और सोशल रूप से मजबूत बनते हैं।