जहरीले कफ सिरप से प्रभावित बच्चों के इलाज का खर्च उठाएगी मोहन सरकार, अब तक 16 बच्चों की मौत

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से मासूमों की मौत मामले को लेकर मोहन सरकार एक्शन में है। सीएम के निर्देश के बाद इस मामले में कई अफसरों को सस्पेंड किया गया है तो दूसरी ओर अब नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में उपचाररत 9 बच्चों के इलाज का संपूर्ण व्यय राज्य शासन वहन करेगी। सीएम मोहन यादव ने संवेदनशील पहल करते हुए ये निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
फेसबुक पर सीएम मध्य प्रदेश नाम के अकाउंट पर साझा जानकारी में कहा गया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कफ सिरप के कारण किडनी संक्रमण से प्रभावित नागपुर के विभिन्न अस्पतालों में उपचाररत 9 बच्चों के इलाज का संपूर्ण व्यय राज्य शासन द्वारा वहन किए जाने के निर्देश दिए हैं। प्रभावित बच्चों के उपचार की समुचित व्यवस्था एवं सतत पर्यवेक्षण के लिए कार्यपालिक दंडाधिकारी और चिकित्सकों की संयुक्त टीम नागपुर में तैनात की गई है। यह टीम प्रभावित परिवारों एवं अस्पताल प्रबंधन के साथ निरंतर समन्वय बनाए रखते हुए बच्चों के उपचार की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर रही है।
इन अधिकारियों पर गिरी गाज
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने छिंदवाड़ा प्रकरण के संबंध में सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर उच्च स्तरीय बैठक की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इसके बाद छिंदवाड़ा के ड्रग इंस्पेक्टर (औषधि निरीक्षक) गौरव शर्मा, जबलपुर के औषधि निरीक्षक शरद कुमार जैन और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) के उप संचालक शोभित कोस्टा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। वहीं ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य का तबादला किया गया है। सीएम ने कहा कि छिंदवाड़ा प्रकरण में सभी दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
दवा की रिकवरी के लिए चलेगा अभियान
मुख्यमंत्री ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही दुकानों में मौजूद स्टॉक जब्त करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा और आसपास के जिलों में जिन परिवारों ने यह दवा ली है, उनके घरों से दवा रिकवर करने के लिए सघन अभियान चलाया जाए। आशा और ऊषा कार्यकर्ताओं के साथ ही सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों का सहयोग लिया जाए। उन्होंने कहा कि कोल्ड्रिफ सिरप के अलावा पिछले दिनों क्षेत्र में बिकने वाली अन्य दवाओं की प्रभावशीलता का भी आकलन कराया जाए। दवाओं पर जो चेतावनी और सावधानियां लिखी जानी चाहिए, वह लिखी जा रही हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए अभियान शुरू किया जाए। नियमों का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई की जाए।