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NEWS 36 एक्सक्लूसिव…गजब की लापरवाही : पेड़ों में झूल रहे देश का भविष्य, शिक्षकों को कोई मतलब नहीं, दुर्घटना को बुलावा…जिम्मेदार कौन ?

केशव पाल @ रायपुर | बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है। मां-बाप बच्चों के जीवन और भविष्य उज्जवल करने के उद्देश्य से अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल भेजते है। लेकिन जिन शिक्षकों के भरोसे वे अपने बच्चों को विद्यालय भेज रहे है। उन्हीं शिक्षकों में बच्चों के सुरक्षा के प्रति घोर लापरवाही देखी जा रही है। समुचित निगरानी और रोकटोक के अभाव में बच्चे भोजन अवकाश के समय स्कूल से निकलकर आसपास के छतों और पेड़ों पर चढ़कर उछलकूद कर रहे हैं। इससे बच्चे दुर्घटना को भी न्योता दे रहे है और अपनी जान भी जोखिम में डाल रहे है। इससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। शिक्षकों के निगरानी के अभाव में बच्चों बेखौफ हो गए है। ये तस्वीरें धरसींवा ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शाला और शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पवनी का है। यहां के बच्चे सोमवार दोपहर को भोजन अवकाश के समय स्कूल से कुछ दूर पर स्थित एक छत के ऊपर चढ़कर मौजमस्ती कर रहे थे। कुछ बच्चे छत के ऊपर से गुजरे हुए ऊंचे पेड़ में झुल रहे थे। एक बच्चा सबसे ऊंची डाल पर चढ़े थे जो झुलकर नीचे उतर रहे थे। कुछ अन्य बच्चे छत पर चढ़कर उछलकूद मचा रहे थे। लेकिन वहां पर इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था। शिक्षक भी बच्चों के इन हरकतों से अनजान बने हुए है। बच्चे बेखौफ होकर पेड़ों की ऊंची डाल पर झुल रहे है। बाहर सड़कों में घूम रहें हैं। इसी बीच अगर कहीं कुछ दुर्घटना हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन रहेगा। बता दें कि, स्कूली बच्चे जहां पर मस्ती कर रहे थे वहां से हाईटेंशन लाइन की वायर गुजरी हुई है। फिर भी बच्चों को इसका कोई डर भय नहीं है। शिक्षकों के बच्चों के प्रति यह लापरवाही कभी भी भारी पड़ सकती है। जब हमारे संवाददाता वहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने इस पल को अपने कैमरे में कैद कर लिया। कैमरे को देख बच्चे पेड़ से उतर गए। बच्चों ने पूछने पर बताया कि यहां प्राइमरी और मीडिल दोनों के बच्चे है। वहीं इधर बच्चों के इन कारनामों से विद्यालय के शिक्षकों को कोई मतलब नहीं है। बच्चे कहां घूम रहे हैं, क्या कर रहे है शिक्षक अनजान है। उल्लेखनीय है कि, भोजन अवकाश होते ही स्कूल के बच्चे स्कूल से बाहर निकलकर इधर-उधर घूमते रहते है। कुछ शरारती बच्चे पेड़ों व छतों में झुलते उछलकूद करते-रहते है। जबकि विद्यालय के शिक्षक बाहर निकलकर बच्चों की गतिविधियों पर नजर नहीं रखते। ऐसे में कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है।

अधिकांश स्कूलों का यही हाल

यह बताना लाजिमी है कि, ऐसा हाल अधिकांश स्कूलों में देखी जाती है। लेकिन इन्हें गंभीरता से लेने की बजाय हवा में उड़ा देतें हैं। शिक्षकों की उदासीन रवैए और लापरवाही से बच्चे इधर-उधर घूमते रहते हैं। अब तो कई स्कूलों के शिक्षक भी लंच के समय बाहर घूमते मिल जातें हैं फिर ये तो बच्चे हैं।

“थोड़ा बहुत तो उछलकूद करेंगे ही न। मैं तो बच्चों को छत या पेड़ पर चढ़ते हुए कभी नहीं देखा हूँ।”

-धनेश देवांगन, प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल पवनी

“अभी तक इस बात की जानकारी मुझे नहीं थी। आपके माध्यम से पता चल रहा है। अभी सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी चल रही है। कुछ बच्चे नहीं थे तो हम लोग समझ रहे थे कि डांस सीख रहे है। बच्चे इधर-उधर घूम रहे है तो इस पर हम रोक लगाएंगे।”

-रामकुमार बंजारे, प्रधानपाठक मीडिल स्कूल पवनी

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