विधानसभा सत्र बिना राष्ट्रगान और बिना राज्यगीत के शुरू , यह छत्तीसगढ़ का दोगुना अपमान

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत रविवार से हुई है. पहले दिन सदन की कार्यवाही की शुरुआत राष्ट्रगान और राजकीय गीत से न होने पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने कड़ा ऐतराज जताया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने इसे गौरवशाली संवैधानिक परंपराओं के विरुद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ की अस्मिता और राजकीय मर्यादा का अपमान है.
छत्तीसगढ़ में गौरवशाली परंपरा का उल्लंघन- अमित जोगी
अमित जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा, जो जनता की आस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों का सर्वोच्च मंच है, वहां सत्र की शुरुआत न तो राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ से हुई और न ही राजकीय गीत ‘अरपा पैरी के धार’ से हुई. यह छत्तीसगढ़ के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार हुआ है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.
राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पहचान का अपमान
अमित जोगी ने कहा कि ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और ‘अरपा पैरी के धार’ छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा है. इन दोनों की उपेक्षा केवल लापरवाही नहीं, बल्कि राज्य की पहचान और संवैधानिक मर्यादा के प्रति जानबूझकर किया गया अपमान है
अमित जोगी ने की माफी की मांग
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने राज्य की जनता की ओर से तत्काल स्पष्टीकरण और बिना शर्त माफी की मांग की है. साथ ही पार्टी ने मांग की कि विधानसभा में राष्ट्रगान और राज्यगीत की परंपरा तुरंत बहाल की जाए. अमित जोगी ने कहा कि मिनीमाता जी सहित सभी राज्य निर्माताओं और महापुरुषों के सम्मान को भी विधानसभा में सुनिश्चित किया जाए, ताकि छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान गर्वित रहे.
दोगुना अपमान — छत्तीसगढ़ जवाब मांगता है।
— 𝐀𝐦𝐢𝐭 𝐀𝐣𝐢𝐭 𝐉𝐨𝐠𝐢 (@AmitJogi) December 14, 2025
4 दिसंबर 2000।
नए छत्तीसगढ़ की पहली विधानसभा।
नेतृत्व—स्व. श्री अजीत जोगी जी।
शुरुआत—राष्ट्रगान जन गण मन से।
यही परंपरा थी। यही मर्यादा थी।
21 जून 2016 को, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के संविधान में
स्व. नरेंद्र वर्मा जी की अमर रचना… pic.twitter.com/zreEVpy8uK






