छत्तीसगढ़ में अजब-गजब आदेश! अब प्रोफेसर पढ़ाएंगे नहीं, आवारा कुत्तों की निगरानी करेंगे?

CG News: छत्तीसगढ़ में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. प्रदेश के स्कूलों के बाद अब कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी आवारा कुत्तों की निगरानी को लेकर संस्थान के प्रोफेसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. उच्च शिक्षा विभाग ने सभी शासकीय और अशासकीय महाविद्यालयों के साथ राजकीय और निजी विश्वविद्यालयों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है.
यूनिवर्सिटी-कॉलेज के प्रोफेसर करेंगे कुत्तों की निगरानी
विभाग के जारी आदेश के अनुसार, अब किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी कैंपस में आवारा कुत्तों के नियंत्रण, निगरानी और उनसे होने वाली संभावित घटनाओं की रोकथाम की जिम्मेदारी संबंधित संस्थानों की ही होगी.
कुत्तों की निगरानी के लिए संस्थान के प्रोफेसरों को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. ये अधिकारी स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, नगर पालिका या परिषद से लगातार संपर्क और समन्वय बनाए रखेंगे और परिसर में आवारा कुत्तों दिखाई देने पर संबंधित विभाग से संपर्क करेंगे.
नोडल अफसर को भेजना होगा अपडेट
आदेश में हर एक संस्थान में नोडल अधिकारी का नाम, मोबाइल नंबर और हेल्पलाइन की जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर लगाना अनिवार्य किया गया है. विभाग ने ये भी निर्देश दिए हैं कि संस्थान परिसर में लगाए गए डिस्प्ले बोर्ड की फोटो नोडल अधिकारी की ओर से उच्च शिक्षा संचालनालय को वॉट्सऐप के माध्यम से भेजी जाएगी. इसके लिए विभाग ने मोबाइल नंबर भी जारी किया है. इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी संस्थानों में आदेश का पालन वास्तव में किया जा रहा है या नहीं.
बता दें उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश स्तर पर डॉ. टी जलजा नायर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है. प्रदेश भर के कॉलेज और विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी इन्हें रिपोर्ट करेंगे.
विभाग से जारी जरूरी निर्देश
उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज-विश्वविद्यालय के लिए कुछ जरूरी निर्देश जारी किए है. इसमें प्रोफेसरों को खाद्य सामग्री तो खुले में ना रखने के बात कही है. ताकि आवारा पशु इससे आकर्षित होकर अंदर प्रवेश न करें. साथ ही संस्थानों को परिसर की बाउंड्री वॉल बेहतर करने के भी निर्देश जारी किए हैं. ऐसा करने से आवारा कुत्तों और पशुओं के प्रवेश पर रोक लग सकेगी.
इतना ही नहीं विभाग ने आपात स्थिति में सहायता के लिए राज्य की हेल्पलाइन नंबर 1100 का प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए हैं. इसक साथ संस्थानों में फर्स्ट एड बॉक्स की उपलब्धता भी अनिवार्य की गई है. इसके साथ ही छात्रों और कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने के निर्देश दिए गए हैं.






