अरावली को लेकर RSS प्रमुख की चेतावनी : विकास-पर्यावरण के बीच संतुलित विकल्प नहीं खोजा तो भारी कीमत चुकानी होगी

रायपुर एम्स में मोहन भागवत ने कहा- आज का यूथ लोनली फील कर रहा है, नशा और मोबाइल खतरनाक विकल्प बन रहे हैं; अरावली से संतुलित विकास की सीख भी दी
रायपुर : RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं और बुधवार को रायपुर एम्स के युवा संवाद कार्यक्रम में उन्होंने विकास, पर्यावरण और युवाओं के भविष्य पर खुलकर बात की। अरावली पर्वतमाला का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया अब तक ऐसा विकास मॉडल नहीं बना पाई है, जिसमें पर्यावरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर साथ‑साथ बिना नुकसान के चल सकें, इसलिए अब संतुलित विकल्प तलाशना ही होगा।
युवाओं में बढ़ते नशे पर जताई गंभीर चिंता
भागवत ने छत्तीसगढ़ के युवाओं में बढ़ते नशे को गंभीर चिंता बताते हुए कहा कि आज का यूथ अंदर से लोनली फील कर रहा है। परिवारों में संवाद घटने और रिश्तों के न्यूट्रल होते जाने की वजह से युवाओं के सामने मोबाइल और नशा आसान विकल्प की तरह खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर फैमिली के भीतर बात‑चीत और इमोशनल कनेक्शन मजबूत होगा तो बाहर की बुरी आदतों की खींच कम हो जाएगी। समाज और परिवार, दोनों को मिलकर ऐसा माहौल बनाना होगा जिसमें युवा अकेलेपन से भागकर नशे में नहीं, बल्कि सार्थक कामों में अपना समय लगाएं।
अरावली से रायपुर तक विकास‑पर्यावरण की सीख
कार्यक्रम में भागवत ने अरावली पर्वत श्रृंखला के संदर्भ से चेताया कि अंधाधुंध विकास की दौड़ अगर इसी तरह चलती रही तो आने वाली पीढ़ियां पर्यावरणीय संतुलन की भारी कीमत चुकाएंगी। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रकृति दोनों का समानांतर विकास जरूरी है, इसके लिए नीतियों और जीवनशैली दोनों में बदलाव लाना होगा।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे रोजगार और करियर के साथ‑साथ पर्यावरण की जिम्मेदारी भी समझें और अपने छोटे‑छोटे फैसलों से बड़ी सकारात्मक शुरुआत करें। संघ भी अपने कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जागरूकता को साथ लेकर चलने की बात कर रहा है।
रायपुर में सामाजिक सद्भावना बैठक
नए साल के पहले दिन 1 जनवरी को रायपुर के राम मंदिर परिसर में सुबह 9 से 12 बजे तक सामाजिक सद्भावना बैठक रखी गई है, जिसमें अलग‑अलग समाजों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में सामाजिक समरसता, समकालीन मुद्दों और वैचारिक सौहार्द पर खुली चर्चा की जाएगी, ताकि संवाद के जरिए समाज में बढ़ते खांचे कम किए जा सकें।
संघ ने इसमें सभी समाज और समुदायों के प्रमुखों, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया है, जिसे वह वैचारिक विभाजन के बीच संतुलन और आपसी सहयोग की पहल मान रहा है। लक्ष्य है कि नए साल की शुरुआत टकराव नहीं, बल्कि संवाद और एकजुटता के संदेश के साथ हो।
यह दौरा RSS के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों के बीच हो रहा है, जिसमें पूरे देश में बड़े सामाजिक आयोजनों और युवाओं से सीधे संवाद पर जोर दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी और युवा आबादी बड़ी होने की वजह से रायपुर जैसे शहरी केंद्रों में ऐसे कार्यक्रम संघ की दीर्घकालिक रणनीति का अहम हिस्सा माने जा रहे हैं।
हिंदू सम्मेलन और सामाजिक बैठकों के जरिए संघ एक तरफ सामाजिक एकजुटता और सद्भावना का संदेश दे रहा है, तो दूसरी तरफ राज्य में बदलते सामाजिक‑राजनीतिक समीकरणों के बीच अपनी वैचारिक उपस्थिति को भी मजबूत कर रहा है। आने वाले महीनों में इस तरह के कार्यक्रमों का असर छत्तीसगढ़ के सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में दिख सकता है






