आई फ्लू से खराब हो सकती है आंख, जानिए बचाव का सबसे सटीक और कारगार उपाय
छत्तीसगढ़ में आंखों में एलर्जी व आई फ्लू के केस लगातार बढ़ रहे है, ऐसे में लोगो को इसके प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है । डॉक्टरों के मुताबिक इन दिनों में लोगों की लापरवाही के कारण उन्हें आई फ्लू या आई एलर्जी जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। जनरल हॉस्पिटल की आई स्पेशलिस्ट डॉ. श्वेता ने बताया कि आई इंफेक्शन को नजरंदाज करने से आंखों की रोशनी जाने तक की नौबत आ सकती है। गर्मी के सीजन में आंखों का खास ध्यान रखना चाहिए। खासकर बच्चों को धूल, मिट्टी सहित अन्य चीजें, जो आंखों को नुकसान पहुंचाएं, उनसे दूर रखनी चाहिए, ताकि किसी तरह से बीमारी न हो।
लक्षण: आंख सूजना, आंख लाल होना, आंख में दर्द होना।
बचाव: रोजाना उपयोग में लाने वाले कपड़ों जैसे तौलिया, रूमाल आदि दूसरों का इस्तेमाल नहीं करें, गंदे हाथ से आंख को न छुएं। आंखों में खुजली होने पर ज्यादा न खुजलाएं। तेज धूप में चश्मे का इस्तेमाल करें।
धूल-मिट्टी से बचाएं
छोटे बच्चों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। बच्चे बाहर खेलते समय लापरवाही बरतते हैं, जिससे आंखों में धूल-मिट्टी आदि गिर जाती है। इससे भी आंखों को नुक्सान पहुंचता है। बच्चों को धूल मिट्टी से बचाएं और दिन में कई बार चेहरा धोने के साथ ही बच्चों की आंखों को भी धोएं।
कैसे फैलता है आंखों में इंफेक्शन: फिजिकल कॉन्टैक्ट यानी आई फ्लू से ग्रसित लोगों से हाथ मिलाने और गंदे हाथों से आंख को रब करने से आंखों में इंफेक्शन होता है। इसके अलावा आई फ्लू से ग्रसित लोगों का कपड़ा इस्तेमाल करने से आई फ्लू होने की आशंका होती है।
आंखों की कॉर्निया हो सकती है खराब
आंखों के इंफेक्शन को नजरअंदाज करने से उसकी कार्निया खराब हो सकती है। जनरल अस्पताल की आई स्पेशलिष्ट डॉ. श्वेता ने बताया कि आंखों के इंफेक्शन का सही इलाज न किए जाने से कार्निया इफेक्टेट होने लगती है। आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
क्या है कंजक्टिवाइटिस, कैसे करें बचाव
कंजक्टिवाइटिस आंख की आम बीमारी है जिसे हम आंख आना भी कहते हैं। इस बीमारी में रोगी की आंख लाल हो जाती है, कीचड़ आता है, आंसू आते हैं, चुभन होती है और कभी-कभी सूजन भी आ जाती है। कंजक्टिवाइटिस संक्रामक बीमारी है जो सम्पर्क से फैलती है। इसलिए मरीज को अपनी आंखों को हाथ न लगाने की सलाह देनी चाहिए। रोगी से हाथ मिलाने से बचकर और उसकी उपयोग की चीजें अलग कर इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है।
संक्रमित आंख को देखने से इस बीमारी के फैलने की धारणा केवल भ्रम है। यह बीमारी केवल सम्पर्क से ही फैलती है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों और हॉस्टलों के लिए जो सर्कुलर जारी किया है उसमें बचाव और इलाज की जानकारी भी दी गई है। उसके मुताबिक कंजक्टिवाइटिस होने पर एंटीबायोटिक ड्रॉप जैसे जेंटामिसिन (Gentamicine), सिप्रोफ्लॉक्सिन (Ciprofloxacine), मॉक्सीफ्लॉक्सिन (Moxifloxacin) आई ड्रॉप आंखों में छह बार एक-एक बूंद तीन दिनों के लिए मरीज को देना चाहिए।
तीन दिनों में आराम न आने पर किसी अन्य बीमारी की संभावना हो सकती है। ऐसे में किसी आई स्पेशलिस्ट के पास दिखाना सही होता है। वरना गंभीर स्थिति बन सकती है। कंजक्टिवाइटिस की जांच और इलाज की सुविधा मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त में कराया जा सकता है।