क्या…? जान इतनी भी सस्ती है : तीन दिन की झड़ी से खेत बना तालाब, उफनता नाला पार कर रहे ग्रामीण, बह गए तो जिम्मेदार कौन होगा ?
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | तीन दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। रुक-रुककर हो रही सावन की झड़ी से कई जगहों पर खेत-खलिहान और सड़कें लबालब हो गए हैं। वहीं नदी-नाले भी उफान पर है। आवागमन बाधित है। लोग जान जोखिम में डाल पुल पार कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में 60 घंटे से भी ज्यादा समय से झमाझम बारिश हो रही है। वहीं आंधी जैसी तेज हवाएं भी चल रही है। जिससे ठंड का अहसास हो रहा है। बारिश से किसानों की मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई लिहाजा रोपाई और बियासी के कार्यों में तेजी आ गई है। इधर, मुसलाधार बारिश के कारण निलजा-खौना मार्ग में बने पुल के ऊपर से पानी बह रही है। आवागमन बाधित हो गया है। नालें के ऊपर पानी का बहाव तेज होने के कारण आने-जाने में लोगों को परेशानी हो रही है। फिर भी जान की परवाह किए बगैर लोग उस पार आ जा रहे हैं। काफी समय से नाले पर ऊंचे पुल बनाने की मांग ग्रामीणों द्वारा की जा रही है लेकिन प्रशासन इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है। बेबस ग्रामीण जान जोखिम में डालकर तीन फीट तक भरे पुल पार कर रहे है जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। बुधवार से हो रही बरसात से नाले के किनारें स्थित खेत जलमग्न हो गए हैं। फसल भी तबाह हो गया है। बारिश से क्षेत्र के गांवों में जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है और सड़कों पर कीचड़ फैल गया है। खौना-बंगोली मार्ग में पथर्रा नाला नदी जैसी दिख रही है। तेज धार गहरे खाई में झरनें जैसा गिर रहा है। कुछ लोग जान जोखिम में डालकर खदान में छलांग लगा रहे हैं। तो कुछ सेल्फी के चक्कर में दुर्घटना को बुलावा दे रहें हैं। इधर, सारागांव से सिलयारी मार्ग में पवनी के पास नए पुल बन जाने से कुछ राहत तो मिली लेकिन अधूरे निर्माण से समस्या हो रही है। वहीं बोहरही पथरी स्थित कोल्हान नाला भी छोटे पुल से ऊपर बह रहा है। रायपुर-बलौदाबाजार मुख्य मार्ग में सारागांव के पास कोल्हान नाला भी उफान पर है। छोटे पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। दोपहिया, चारपहिया वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऊंचा पुल बनने की बाट जोह रहे ग्रामीण, किनारा दरक रहा
मामूली बारिश में ही छलक जाने वाला खौना-निलजा नाला तीन दिन की झड़ी से अब उफन रहा है। ग्रामीण ऊंचा पुल बनने की बाट जोह रहे हैं। फिर भी उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। पुल किनारे से दरक रहा है। क्षतिग्रस्त अवस्था में पुल कभी भी पिचक सकता है। इससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है। आज शुक्रवार को भी बारिश का क्रम लगातार जारी है। शाम तक बारिश होती रही। स्कूली बच्चों सहित दैनिक मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि उन्हें सुबह कार्यस्थल पहुंचना होता है और देर रात तक वापिस घर आना पड़ता है। रात के अंधेरे में भी उफनता नाला पार करने की मजबूरी है। नाले के दोनों साइड बोर्ड लगा है जिसमें बाढ़ के दौरान पुल न पार करने की चेतावनी दी गई है। लेकिन लोग इसे भी धता बताकर इसके ठीक उल्टा काम कर रहे हैं। जान हंथेली पर लेकर नाला पार कर रहे हैं।
खेत-खलिहान लबालब, सड़कें बन गई तालाब
बारिश से छोटे-बड़े नाले उफान पर है। सड़कों में पानी भर गया है। खेत जलमग्न है। आसपास का क्षेत्र जलमग्न हो गया है जहां सिर्फ़ पानी ही पानी नजर आ रहा है। लोग एक-दुसरे का हाथ थामकर पुल पार कर रहे हैं। बारिश से खेत पूरी तरह जलमग्न है। इससे यह भी पता नहीं चल पा रहा कि सड़क कहां है, खेत कहां और गड्ढे कहां है। बाढ़ बारिश से लगातार जलस्तर तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। नालों का पानी पुल को लांघकर सड़कों में बहते हुए बढ़ते जा रहा है। इधर खेतों में अधिक पानी भर जाने के कारण अब किसानों को खेत से पानी खाली करना पड़ रहा है। सड़कें भी तालाब जैसा नजर आ रहा है।