आरंग विधानसभा : डगर कठिन है डहरिया की….देखिए “नेताजी का लेखा जोखा”
राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर राजा मोरध्वज की नगरी आरंग एक ऐसा नगर है, जिसे पौराणिक कथाओं में राजा मोरध्वज की नगरी के रुप में, इतिहास में मंदिरों की राजधानी के रूप में और सियासत में भाजपा के गढ़ के रूप में जाना और पहचाना गया, लेकिन भाजपा के इस गढ़ में कांग्रेस सेंध लगाती रही और जनता के बीच में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराती है, नेता जी का लेखा जोखा में आज बात करेंगे आरंग विधानसभा के बारें में
देखे नेता जी का लेखा जोखा
आरंग विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, यह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत में छत्तीसगढ़ राज्य के 90 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. आरंग सीट रायपुर जिले का हिस्सा है और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. ये रायपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है. इस सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान श्रम मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया ने जीत दर्ज की थी. उस समय आरंग में कुल 45 प्रतिशत वोट पड़े थे. डॉ शिव कुमार डहरिया ने भारतीय जनता पार्टी के संजय ढ़ीढ़ी को 25,077 वोटों के मार्जिन से हराया था.
वहीं इस सीट का इतिहास बताता है कि यहां हर चुनाव में मतदाताओं ने दूसरी पार्टी को मौका दिया है. यानी एक कार्यकाल कांग्रेस तो बीजेपी का दूसरा होता आया है. साल 2003 के विधानसभा चुनाव से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के संजय ढ़ीढ़ी जीते थे 48,556 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान पर कांग्रेस के गंगूराम बघेल रहे थे, जिन्हें कुल 30,112 मत मिले थे.
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान कांग्रेस सरकार में पीएचक्यू मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने 34,655 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे स्थान पर भाजपा के 2003 में विधायक चुने गए संजय ढ़ीढ़ी रहे इस चुनाव में संजय को कुल 33,318 वोट मिले थे. 2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने यह सीट अपने नाम की और नवीन मार्कण्डेय के नाम जीत की मुहर लगाईं, जिन्हें 59,067 वोट मिले थे.
वहीं इस बार पिछले विधानसभा चुनाव के विधायक गुरु रूद्र कुमार 45,293 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर आ गए. पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुरु रूद्र कुमार की जगह अपना प्रत्याशी बदलते हुए डॉ शिव कुमार डहरिया को टिकट दिया, जिन्होनें भाजपा प्रत्याशी संजय ढ़ीढ़ी को 69,900 वोटों से जीतकर करारी शिकस्त दी. उन्होनें करीब 25,077 वोटों के मार्जिन से यह चुनाव जीता था.
पिछले साल ही इस विधानसभा सीट में एक बड़ी घटना हुआ. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में आरंग सीट से अपनी दावेदारी पेश कर चुके कांग्रेस नेता वेदराम मनहरे ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. दिल्ली में वेदराम मनेहरे ने 10 कांग्रेसियों समेत भाजपा में प्रवेश कर लिया. उन्हें भाजपा की तत्कालीन छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने सदस्यता दिलाई. यह आरंग कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ.
पेशे से कृषि और चिकित्सक डॉ शिवकुमार डहरिया आरंग विधानसभा में आज एक बड़ा चेहरा बन चुके हैं. बतौर विधायक उनकी इस क्षेत्र में एससी वोटरों में पकड़ काफी मजबूत है. मगर क्या इस बार कांग्रेस एक बार आरंग विधानसभा सीट से डॉ शिवकुमार डहरिया को मौका देगी या फिर सिटींग एमएलए को हटाकर किसी और चेहरे पर दांव खेलेगी.
दरअसल, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट आरंग विधानसभा को भाजपा का गढ़ माना जाता है. लंबे समय तक यह सीट भाजपा के पास रही. हालांकि राज्य निर्माण के बाद से हुए चार चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच जीत-हार का खेल चलता रहा है. एक तरह से जनता अपना मूड बदलती रही है, लेकिन 2023 में जनता का मूड क्या रहेगा इसे जरा समझने की कोशिश करते हैं.
वर्तमान में आरंग से डॉ. शिवकुमार डहरिया कांग्रेस पार्टी से विधायक हैं. डहरिया अब चार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. इनमें से तीन में जीत, जबकि में एक में हार का सामना करना पड़ा है. डॉ. डहरिया 2003 में पलारी विधानसभा चुने जीते, फिर 2008 में बिलाईगढ़ और 2018 में आरंग से जीते. 2013 में बिलाईगढ़ सीट चुनाव हार गए थे.
इसे राज्य निर्माण के बाद हुए चार चुनाव में देखा जा सकता है. जहां दो बार भाजपा, तो बार कांग्रेस काबिज हुई. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एक प्रयोग किया. गुरु रुद्रकुमार को आरंग से अहिवारा भेजा, जबकि बिलाईगढ़ से डॉ. शिवकुमार डहरिया को आरंग लेकर आए. प्रयोग सफल रहा है. परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहा और डहरिया रिकॉर्ड मतों से जीतकर आए. एससी की आरक्षित सीटों पर सर्वाधिक मतों से जीतने वाले विधायक बने, तो भूपेश कैबिनेट में मंत्री भी.
बात करे 2003 से 2018 छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से हुए चार चुनाव के नतीजे की तो
दो बार भाजपा, दो बार कांग्रेस जीती
2018 विधानसभा चुनाव ,एससी सीट
डॉ शिवकुमार दहरिया- कांग्रेस 69900
संजय ढींढ़ी – भाजपा 44823
संजय चेलाक- जे.सी.सी 27903
2003 विधानसभा चुनाव में आरंग एससी सीट रिजर्व रही जहां
संजय ढीढी, बीजेपी, कुल वोट मिले 48556
गंगू राम बघेल, कांग्रेस, कुल वोट मिले 30112
2008 विधानसभा चुनाव में भी आरंग एससी सीट रिजर्व रही जहां
रूद्र कुमार गुरु, कांग्रेस, कुल वोट मिले 34655
संजय ढीढी, बीजेपी, कुल वोट मिले 33318
2013 विधानसभा चुनाव में आरंग एससी सीट रिजर्व रही जहां
नवीन मार्केंड्य, बीजेपी, कुल वोट मिले 59067
रूद्र कुमार गुरु, कांग्रेस, कुल वोट मिले 45293
आरंग विधानसभा में कुल मतदाता- 2 लाख 19 हजार 752
पुरुष मतदाता- 1 लाख 10 हजार 2 सौ 29
महिला मतदाता- 1 लाख 9 हजार 5 सौ 17
अन्य- 6
आरंग का जातीय समीकरण पर एक नजर डाले तो
अनुसूचित जाति- 40 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति- 20 प्रतिशत
अन्य पिछड़ा वर्ग – 30 प्रतिशत
सामान्य – 10 प्रतिशत
वर्तमान में मंत्री शिवकुमार डहरिया का दावा है कि आरंग में 15 साल में जो काम नहीं हुए बीते 4 साल में हुए हैं. तीन नए नगर पंचायतों का गठन, प्रत्येक ग्राम पंचायतों में 2 से 10 करोड़ के विकास कार्य, आरंग विधानसभा में 1 हजार करोड़ से अधिक के विकास कार्य हुए. पर्यटन स्थलों का भी विकास जारी है. चंदखुरी मंदिर का भव्य जीर्णोधार हुआ. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ. सड़क, पानी के अनगिनत काम हुए. मैं आरंग विधानसभा से ही चुनाव लडूंगा, सीट बदलने की चर्चा अफवाहें हैं. वहीं पूर्व विधायक नवीन मार्कण्डेय आरोप लगाते है कि आरंग में भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत हुई. बिना निविदा काम हुए. घोटाला सरेआम हुआ. भाजपा के पास मुद्दों की कमी नहीं है. कांग्रेस के झूठे वादें, जनता को याद हैं
कुल मिलाकर देखा जाए तो आरंग का इतिहास बताता है कि वहां कि जनता हर पांच साल में पार्टी को बदल देती है इस लिहाज से वर्तमान में मंत्री शिवकुमार डहरिया की राह आसान नहीं दिखती
आरंग सीट को बचाने कांग्रेस ऐड़ी चोटी का जोर लगाने वाली है वह 15 साल बनाम 5 साल की बात कर जनता के सामने जाऐगी वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी मंत्री रहते हुए भी शिवकुमार डहरिया के नाकामियों को लेकर जनता जनार्दन के सामने जाऐगी, यह तो समय ही बताऐगा कि आरंग की जनता किसपे भरोसा कायम करते हुए किसका साथ देती है