दक्षिण विधानसभा में अब मुकद्दर का सिकंदर वाला दांव
दोनों प्रत्याशी हिन्दुत्व के पुरोधा , क्या होगा गणित या फिर काम करेगा जुगाड़
रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र को रहस्य-रोमांच और चमत्कार वाला सीट माना जाता है। जिस तरह से देश में बयार रही हो रायपुर दक्षिण विधानभा में आकर थम जाती थी, यह विधानसभा बाहरी हवाओ्ं से प्रभावित हुए बिना अपने लय में बहकर बृजमोहन के जीत के साक्षी बनते रहे । अब बदलते समीकरण में बृजमोहन के बांसुरी का दीवाने अब राम की भी उपासना करेंगे।
विषम से विषम परिस्थितियों में भी बृजमोहनअग्रवाल का डंका बजा। अब राजिम कुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित बृजमोहन को टक्कर देने शिवरीनारायण मंदिर सहित तमाम मठ मंदिरों के सर्वाकार महंत रामसुंदर दास को बृजमोहन के सामने उतारा गया है, अब क्या रण नीति रहेगी बृजवासियों की। इसे मथुरा वृंदावन बनाएंगे या चुनावी अखाड़ा। क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी हिन्दुत्व के झंडाबरदार है।
कांग्रेस ने प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इसमें भी कई विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया गया है। बता दें कि कांग्रेस ने पहली सूची में 30 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें 8 विधायकों का टिकट काटा गया था।
रायपुर शहर की विधानसभा सीट दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं। कांग्रेस ने महंत रामसुंदर दास को यहां से प्रत्याशी बना दिया है। दोनों के बीच रिश्ता मधुर है, यह बात किसी से छुपी नहीं। मगर सियासी रण में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ना दक्षिण विधानसभा की सीट के सियासी हालातों को दिलचस्प बना रहा है। गुरु के सामने पूर्व मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं।
महंत रामसुंदर का सियासी सफर
रायपुर के सबसे प्रचीन दुधाधारी मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास इस वक्त छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं। साल 2001-2003 में सरकार के संस्कृत बोर्ड के पहले अध्यक्ष रहे। सदस्य रहे छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के। साल 2003 में पहली बार जैजैपुर से विधायक बने, दूसरी बार 2008 में भी विधायक बने।
बृजमोहन के सफर पर एक नजर
बृजमोहन अग्रवाल साल 1990 में पहली बार विधायक बने। उस वक्त के दिग्गज विद्याचरण शुक्ल को हरा चुके हैं। तब से आज तक बृजमोहन विधायक का चुनाव जीतते रहे हैं। प्रदेश सरकार में गृह, शिक्षा, संस्कृति, कृषि जैसे विभागों के मंत्री रह चुके हैं।