मेला के दूसरे दिन पंडवानी गायिका ‘दुर्गा साहू’ ने बांधा समां : कापालिक शैली में दी पंडवानी की जीवंत प्रस्तुति, विराट पर्व की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता
केशव पाल, NEWS 36 @ तिल्दा-नेवरा | धरसींवा-तिल्दा मुख्य मार्ग में कोल्हान नाला तट पर स्थित अंचल के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल ओम श्री सिद्ध भैरव बाबा ट्रस्ट कपसदा, कुकेरा, रैता में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी तीन दिवसीय भव्य मेला व सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जा रहा है। 6 दिसंबर से 8 दिसंबर तक आयोजित हो रहे कार्यक्रम के दूसरे बुधवार को आसपास सहित दूरदराज के श्रद्वालु बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। सांस्कृतिक संध्या के दौरान अंचल की सुप्रसिद्ध पंडवानी गायिका कु. दुर्गा साहू निनवा निवासी ने कापालिक शैली में पंडवानी प्रस्तुत कर जोरदार समां बांध दिया। हालांकि साऊंड सिस्टम में गड़बड़ी के चलते उन्हें थोड़ा निराश जरूर होना पड़ा लेकिन कथा प्रसंग में महाभारत की विराट पर्व की बेहतरीन प्रस्तुति से लोगों को जीवंत रूप का अहसास करा दिया। मंच पर एंट्री करते ही जैसी ही उन्होंने ‘रामे ग रामे रामे ग मोर भाई’ गाई तो दर्शक दीर्घा ने भी जोरदार तालियां ठोंककर अपनी उपस्थिति का अहसास करा दिया।
आधुनिक वाद्य यंत्रों के साथ संगीत-गीत की धुन में पंडवानी गायन करते हुए उन्होंने बताया कि, पांडवों को बारह वर्ष के वनवास की अवधि की समाप्ति कर एक वर्ष अज्ञातवास करना था। वे विराट नगर के लिए चल दिए। विराट नगर के पास पहुँचकर वे सभी एक पेड़ के नीचे बैठ गए। युधिष्ठिर ने बताया कि मैं राजा विराट के यहाँ ‘कंक’ नाम धारण कर ब्राह्मण के वेश में आश्रय लूँगा। उन्होंने भीम से कहा कि तुम ‘वल्लभ’ नाम से विराट के यहाँ रसोईए का काम माँग लेना। अर्जुन से उन्होंने कहा कि तुम ‘बृहन्नला’ नाम धारण कर स्त्री भूषणों से सुसज्जित होकर विराट की राजकुमारी को संगीत और नृत्य की शिक्षा देने की प्रार्थना करना तथा नकुल ‘ग्रंथिक’ नाम से घोड़ों की रखवाली करने का तथा सहदेव ‘तंत्रिपाल’ नाम से चरवाहे का काम करना माँग ले। सभी पांडवों ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र एक शमी के वृक्ष पर छिपा दिए तथा वेश बदल-बदलकर विराट नगर में प्रवेश किया। विराट ने उन सभी की प्रार्थना स्वीकार कर ली। विराट की पत्नी द्रौपदी के रूप पर मुग्ध हो गई तथा उसे भी केश-सज्जा आदि करने के लिए रख लिया। द्रौपदी ने अपना नाम सैरंध्री बताया और कहा कि मैं जूठे बर्तन नहीं छू सकती और न ही जूठा भोजन कर सकती हूँ। कथा से माध्यम से यही संदेश दिया कि, महान योद्धाओं के जीवन में भी सुख-दुख आता-जाता रहता है। फिर हम तो इंसान है। सुख-दुख में जो इंसान विचलित नहीं होता, जो सुख-दुख को धूप-छांव की तरह सहन करता है सच्चे अर्थों में वही सच्चा इंसान है। ओम श्री सिद्ध भैरव बाबा ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू ने NEWS 36 से चर्चा करते हुए बताया कि, यह मेला का 26 वां वर्ष है, जहां दूरदराज से भक्त दर्शन पूजन करने पहुंच रहें हैं। उन्होंने भैरव बाबा के हवन कुंड पर विस्तार से प्रकाश डाला और यहां की प्राचीन महत्व की जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ उद्घोषक एवं ग्राम पंचायत कुकेरा के सरपंच सोहन साहू ने किया।