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बदली-बारिश से धान खरीदी बंद : खेती कार्यों पर लगा विराम, धान व सब्जी की फसलें प्रभावित, ‘मिचौंग’ के असर से बढ़ गई ठिठुरन

केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | मौसम में आए एकाएक बदलाव से क्षेत्र में बेमौसम बारिश हो रही है। लिहाजा, किसानों की मुसीबत बढ़ गई है। बादल छाए रहने के साथ दो-तीन दिन से हो रही बारिश से धान की लुवाई-मिजाई कार्य पर विराम लग गया है। वहीं सब्जियों की खेती पर भी इनका विपरीत असर दिख रहा है। सोमवार रात से रूक-रूककर बारिश हो रही है, जिससे धान खरीदी कार्य भी बंद हो गई है। चक्रवाती तूफान मिचौंग के असर से दिन के तापमान में गिरावट आ गई है। बदली-बारिश से ठिठुरन भी बढ़ गई है। लोग ठंड से बचने तरह-तरह के जतन कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि, मैदानी इलाकों में पिछले दो-तीन दिन से हल्की बूंदाबांदी हो रही है। आसमान में बादल छाए हुए हैं। ठंडी हवाओं के साथ बारिश हो रही हैं। बीते मंगलवार को दिनभर रूक-रूककर बौछारें पड़ती रही। वहीं बुधवार को भी सुबह से रात तक हल्की बूंदाबांदी होती रही। बेमौसम बारिश से सबसे ज्यादा किसान प्रभावित है। चूंकि मौजूदा समय में धान की लुवाई-मिजाईं कार्य जोरों से चल रही है। ऐसे में बारिश के दखल के बाद फसलों को सुरक्षित रखने में किसानों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। खेतों में धान की फसल भींग रही है। हवाएं चलने से खड़ी फसलें जमीन पर लेट गई है। खलिहानों में रखे धान भी भींग रही है। किसान तिरपाल से ढककर धान को बचाने में लगे हैं। छोटे मंझोले किसान उधारी या किराए पर झिल्ली-तिरपाल का जुगाड़ कर बारिश से फसलों को बचाने मशक्कत कर रहे हैं। खलिहानों में उडा़ने के लिए रखे धान भींगकर गीली हो गई है। इधर, सब्जियों की खेती कर रहे किसानों को भी बेमौसम बारिश से नुकसान उठाना पड़ रहा है। दलहन-तिलहन, चना, तिंवरा, मटर आदि लगाए किसानों को फसल चौपट होने का डर सता रहा है। विभिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती कर रहे किसान कीटप्रकोप की आशंका से भी भयभीत है। बता दें कि, खेतों के साथ-साथ खलिहानों में भी फसल खुले में ही पड़ी हुई है ऐसे में बदली-बारिश से नुकसान की संभावना है। धरसींवा, चरौदा, पथरी, खौना, मढ़ी, बरबंदा, कोदवा, बरतोरी, तर्रा, पवनी आदि दर्जनों गांवों के किसानों ने बताया कि, इन दिनों खेतों में फसलें लगी हुई है। लेकिन मौसम के बदलते मिजाज के आगे उनकी सारी मेहनत बेकार साबित हो रही है। बेमौसम बारिश से उनकी मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। खेतों की मिट्टी गीली हो गई है। लिहाजा, हार्वेस्टर वाले भाव खा रहे हैं। कटी फसलों को उठाने में भी दिक्कतें आ रही है। अभी तक लुवाई-मिजाईं का कार्य महज आधा ही हुआ है। खेतों की मिट्टी गीली हो जाने से आगामी कुछ दिनों तक मशीनें खेतों में नहीं जा सकते। ऐसे में खेती-किसानी का कार्य ठप हो गया है। आगामी दिनों में भी मौसम ऐसे ही नखरे दिखाए तो निश्चित तौर पर किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।

कई उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी कार्य बंद

मौसम के करवट बदलने से धान खरीदी कार्य भी प्रभावित हो गई है। उपार्जन केन्द्रों में बोरियों को सुरक्षित रखने में समितियों की पसीने छूट गई है। कई केन्द्रों में खुले में रखीं बोरियां भींग रही है। टिन, शेड, छज्जा आदि नहीं होने से बोरियां खुले में पड़े हैं। जमीन कीचड़ से लथपथ है। बारिश के मद्देनजर समिति वाले धान खरीदी कार्य बंद कर दिए हैं। टोकन कटवा चुके किसान केन्द्रों से वापिस लौट रहें हैं। समिति वाले अब किसानों को नई तारीख पर धान लाने की बात कहकर वापिस भेज रहे हैं। ऐसे में टोकन कटवा चुके किसान नई तारीख के लिए धान खरीदी केन्द्रों के चक्कर काट रहे हैं। विभिन्न धान खरीदी केन्द्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है। बारिश से खलिहानों में रखे किसानों के धान भींग रहें हैं जिससे नमी की मात्रा बढ़ गई है। ऐसे में किसानों को डर सता रहा है कि, उनकी धान को समिति वाले कहीं रिजेक्ट न कर दे। इधर, समिति वाले मौसम खुलने के बाद ही खरीदी कार्य फिर से शुरू करने की बात कह रहे हैं।

ठंडी हवाएं चलने से बढ़ गई है ठिठुरन

अचानक बदले मौसम के तेवर के बाद तीखी ठंड का अहसास होने लगा है। दिन में भी ठंडी हवाएं चल रही है जिससे ठिठुरन बढ़ गई है। कंपकंपी बढ़ने से जगह-जगह लोग अलाव जलाकर ठंड भगा रहे हैं। बारिश से किसान चिंतित हैं तो तेज ठंडी हवाएं चलने से लोग ठिठुर रहें हैं। लिहाजा, गर्म कपड़ों की पूछपरख भी बढ़ गई है। बदली-बारिश से ठंड एक बार फिर लौट आई है। लोगों को दिन में भी गर्म कपड़े पहनने को मजबूर होना पड़ गया है। ठंड की ठिठुरन से बचने जगह-जगह अंगेठा जलने लगी है। विदित हो कि, सप्ताह भर से मौसम में लगातार बदलाव देखा जा रहा है। चटख धूप खिलने के बाद अचानक मौसम का रूख बदल गया है और हल्की-मध्यम बारिश के साथ ठंड भी लौट आई है। मौसम के बदले मिजाज के चलते जनजीवन जहां अस्त-व्यस्त हो गया है वहीं ठंड से भारी-भरकम गर्म कपड़ों का बोझ लोगों को शरीर पर लादना पड़ गया है।

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