लाल ईटों से आंखें हो रही लाल : तिल्दा-खरोरा क्षेत्र में अवैध ईट भठ्ठों की सजी मंडी, सरकार को लगा रहा राजस्व का चूना, धुल-धुएं से राहगीर परेशान-जिम्मेदार मेहरबान
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | क्षेत्र के गांवों मे इन दिनों अवैध ईट भठ्ठों की बाढ़ आ गई है। दर्जनों गांवों में अवैध लाल ईंट बनाने का कार्य धड़ल्ले से जारी है। जगह-जगह लाल ईटों का मंडी सजा है। राहगीरों की आंखें धुल, धुएं और राखड़ से लाल हो रही है। इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग धृतराष्ट्र बना बैठा है। कोई कार्रवाई नहीं होने से ईट भठ्ठों के संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। प्रशासन की मेहरबानी से अवैध ईंट बनाने वालों के हौसले बुलंद हैं। उल्लेखनीय है कि, तिल्दा-नेवरा व खरोरा क्षेत्र मे सैकड़ों अवैध ईट 1भठ्ठे का संचालन डंके की चोट पर किया जा रहा है। कई स्थानों में गर्म भठ्ठियां धधक रही है। भठ्ठों से उड़ने वाले धुल, डस्ट और धुएं से लोग परेशान हैं। लेकिन खनिज विभाग, पर्यावरण विभाग और राजस्व विभाग अभी तक कुंभकरणी नींद से जग नहीं पाया है। धान की मिजाई के बाद स्थानीय लोगों की संरक्षण और मिलीभगत से बड़ी संख्या मे ईट बनाने वाले लोगों को अन्य राज्यों से बुलाया जाता है। कुछ लोग स्थानीय भी होते है। जो ईट बनाते है। ये लोग अधिक फायदे की लालच मे बिना किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमति लिए बिना ही अवैध तरीके से भट्ठे का संचालन करते है। ये लोग न तो राजस्व विभाग से अनुमति लेते है और न ही पंचायतों से। यह भी जानकारी मिली है कि कुछ स्थानीय लोग अपनी ऊंची पहुंच का धौंस दिखाकर इन लोगों से अवैध ईट बनवा रहें है। जगह-जगह यहां अवैध ईट भठ्ठों को सुलगते आसानी से देखा जा सकता है। भठ्ठियों से उड़ने वाले धूल, धुएं से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है तो वहीं शासन-प्रशासन को लाखों रूपये की राजस्व की क्षति हो रही है। लेकिन जिम्मेदार आँखे मूँदकर खामोशी साधे हुए है। रसूखदार ईंट का अवैध निर्माण कर मोटी कमाई करने में जुटे हुए हैं। बहुत ही कम ईंट भट्ठा संचालकों द्वारा विभागीय औपचारिकताएं पूरी की जाती है, जबकि ज्यादातर भट्ठे अवैध ढंग से संचालित हैं। शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों ईंट भट्ठे का कारोबार बगैर विभागीय अनुमति व रायल्टी जमा किए धड़ल्ले से चल रहा है। इससे खनिज विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। क्षेत्र के खपरी (बंजारी), मढ़ी, जंजगीरा, बरतोरी, कोदवा, इलाके मे अवैध रुप से ईंट भट्ठे का संचालन बेधड़क किया जा रहा है। इसके लिए ठेकेदार न तो राजस्व विभाग से परमिशन लिया है,न ही पंचायत से और न ही तहसील कार्यालय से। कहीं से भी परमिशन नहीं लेने के बाद भी क्षेत्र में अवैध तरीके से ईंट निर्माण किया जा रहा है। इसके बाद भी अधिकारी इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहीं है। खनिज व राजस्व विभाग से बिना अनुमति लिए नियम कानून को ताक में रखकर सरकारी व निजी जमीन में अवैध तरीके से बेरोकटोक ईंट बनाने का धंधा बेखौफ जारी है। कार्रवाई नहीं होने से संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। इधर, कई भट्ठा संचालक अवैध विद्युत कनेक्शन भी ले रखे हैं। इस तरह अवैध भट्ठा संचालन से सरकार को रायल्टी का नुकसान पहुंचा रहे हैं।
पर्यावरण हो रहा प्रदूषित
ईंट को पकाते समय इससे उठने वाले धुआं पर्यावरण सहित लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। इस तरह से कई भट्ठे आबादी क्षेत्र में संचालित किया जा रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। आने-जाने वाले राहगीर यहां से उड़ने वाले धुल डस्ट से परेशान हो रहे है। साथ ही पर्यावरण भी निरंतर प्रदूषित हो रही है। फिर भी जिम्मेदार विभागों द्वारा उदासीनता बरती जा रही है। वैसे भी तिल्दा क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र होने से पर्यावरण प्रदूषित होते जा रहा है। अब ईट भठ्ठों के धुएं भी प्रदूषण फैला रहे हैं।
सरकार को लगा रहा राजस्व का चूना
नदी,नालों,घाटों के किनारे खेत व तालाब से लगे जमीन के आसपास दूर-दूर तक ईंट बनाने का काम चल रहा है। इससे लाखों रुपये की रायल्टी चोरी हो रही है। वहीं सरकार को भी राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। लाखों कमाने के लालच में ये राजस्व व खजिन विभाग को राजस्व की नुकसान पहुंचा रहे हैं। ईंट व्यावसायियों ने अपने व्यावसायिक लाभ के लिए नियमों को भी धता बता रहे हैं। ईंट भट्ठे की आड़ में ठेकेदार धीरे-धीरे जंगली क्षेत्रों में भी घूम रहे हैं तथा वन क्षेत्रों में स्थापित ईंट भट्ठों में जंगल से अवैध रूप से काटी गई लकड़ियों का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। लेकिन इन लोगों को रोकने टोकने वाले कोई नहीं है।