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Chhattisgarh Congress : दो हार के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बदलाव की आहट ! …दीपक बैज की हो सकती है छुट्टी…देखिए खास रिपोर्ट

Chhattisgarh Congress : विधानसभा और लोकसभा में लगातार हार के बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में फेरबदल की अटकलों ने मानसून के सीजन में बदलाव के बादल मंडराने लगे हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सियासी हल्कों में चर्चा है कि जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज हटाए जा सकते हैं और उनकी जगह पर किसी नए नेता को प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। चर्चा यह भी है कि कांग्रेस आलाकमान ने इसे लेकर कमेटी का गठन किया है।
देखे खास रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बदलाव की कवायद तेज
पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में मचा हाहाकार थमने का नाम नहीं ले रहा है। राधिका खेड़ा की ओर से खड़ा किया गया बखेड़ा थमने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने सांस ही ली थी कि प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट ने एक बार फिर उनकी नींदें उड़ा दी हैं। सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि जल्द ही प्रदेश में PCC चीफ का नया चेहरा देखने को मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बदलाव की कवायद तेज हो गई है। पार्टी संगठन दीपक बैज की जगह अब नए लीडर की तलाश में जुट गया है। छत्तीसगढ़ में दीपक बैज ने जो परिणाम दिए हैं, उन्हें कोई भी हाई कमान सहन नहीं कर सकता। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से प्रदेश में अध्यक्षता ओबीसी और एसटी के बीच ही घूमती रही । इसी के साथ ही चर्चा यह भी है कि प्रदेश अध्‍यक्ष के लिए मोहन मरकाम का नाम दावेदारों में सबसे ऊपर है। इसके साथ ही फूलों देवी नेताम, इंद्र शाह मंडावी, लखेश्वर बघेल के नाम की भी चर्चा है। वही दूसरी ओर इस बार यह भी संभावना जताई जा रही है कि किसी ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपी जा सकती है

ब्राह्मण चेहरे के रुप में अमितेश शुक्ल का नाम
टी एस बाबा जिस तरह सांसद का टिकट लेने से पीछे हट गए खबर है कि वे प्रदेश अध्यक्ष बनना भी नहीं चाहते। जो नाम सबको आश्चर्य में डाल सकता है वह नाम है श्यामा चरण शुक्ल के पुत्र अमितेश शुक्ल का कांग्रेस अब अन्य वर्ग के वोट बैंक की ओर भी ध्यान देना चाहती है। अमितेश शुक्ल मध्य प्रदेश के समय भी मंत्री थे छत्तीसगढ़ में भी मंत्री रहे और संगठन क्षमता के साथ कांग्रेस के रीति नीति को बहुत बारीक से समझते हैं।

कांग्रेस ने बनाई कमेटी
प्रदेश में कांग्रेस का अंदरूनी कलह और डेमेज कंट्रोल नहीं कर पाने का भी चुनाव में अच्छा खासा असर दिखा । पहले विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता से हाथ धोड़ा पड़ा था। पार्टी को उम्मीद थी कि वह लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन कर विधानसभा चुनावों में मिले जख्मों में भर लेगी, लेकिन लोकसभा चुनावों में पार्टी का और भी बुरा हाल हुआ और वह महज एक सीट पर सिमटकर रह गई और इसी के बाद से दीपक बैज संगठन में कमजोर होते चले गए और उनके लिए एक के बाद एक मुश्किलें खड़ी होती चली गईं। साथ ही राधिका खेड़ा की ओर से खड़े किए गए बखेड़े ने आग में घी डालने का काम किया। बताया जा रहा है कि दोनों चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस का कप्तान बदलने की ठान ली है और इसके लिए पार्टी ने एक कमेटी का गठन किया है, जो रिपोर्ट तैयार करेगी। हालांकि कांग्रेस संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट को अफवाह बता रहे हैं। अब नजरें पार्टी आलाकमान पर हैं। देखना यह है कि खुद को साबित करने के लिए बैज को मिलेगा एक और मौका या फिर प्रदेश संगठन को एक नया नेता मिलता है।

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