पीएचई में सब इंजीनियर भर्ती में बीई डिग्रीधारियों को बाहर करने पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख, भर्ती नियमावली को बताया नियम विरूद्ध

छत्तीसगढ़ में पीएचई सब इंजीनियर भर्ती में गड़बड़ी और मनमानी के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग सब इंजीनियर भर्ती नियमावली को नियम के विरूद्ध बताया है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल डिप्लोमा धारकों को इस परीक्षा में पात्र करार देना और बीई (बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग) डिग्रीधारकों को इस परीक्षा से बाहर करना, उनके साथ भेदभाव और मनमानी करने जैसा है।
बीई डिग्रीधारी कैंडिडेट्स ज्यादा योग्य
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और व न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा कि बीई डिग्रीधारी तकनीकी रूप से ज्यादा योग्य होते हैं और उन्हें अवसर से वंचित करना संविधान के समानता सिद्धांत का उल्लंघन करने जैसा है।
2016 तक मिलते रहे दोनों को अवसर
याचिकाकर्ता धगेन्द्र कुमार साहू ने अधिवक्ता प्रतिभा साहू के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिका में जानकारी दी थी कि वर्ष 2016 तक बीई और डिप्लोमा दोनों ही डिग्रीधारकों को डिप्टी इंजीनियर पद पर नियुक्त किया गया। जबकि नियमों में केवल डिप्लोमा की शर्त थी रही थी। इस नियम और परंपरा को तोड़कर इस भर्ती में इस बार केवल डिप्लोमा कैंडिडेट्स को ही पात्र माना गया है।
118 पदों की भर्ती प्रक्रिया हो चुकी है पूरी
PHE विभाग ने कुल 128 पदों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें 118 पद सिविल और 10 पद विद्युत/यांत्रिकी के तय किए गए थे। व्यापमं परीक्षा कैलेंडर के अनुसार व्यापमं ने 27 अप्रैल 2025 को परीक्षा आयोजित की थी। हाईकोर्ट ने परीक्षा से पहले ही बीई कैंडिडेट्स को अंतरिम राहत दी थी। साथ ही परीक्षा में शामिल होने के लिए भी अनुमति दी थी।
सरकार को पुनर्निर्धारित करनी होगी भर्ती प्रक्रिया
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद संभावना है कि PHE विभाग को नई पात्रता शर्तों के साथ संशोधित भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करनी होगी, जिसमें BE और डिप्लोमा दोनों योग्यताएं मान्य होंगी।
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