न डीएपी न एनपीके खाद अभी भी भटक रहें हैँ किसान : भारतीय किसान यूनियन, छत्तीसगढ़

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) छत्तीसगढ़ के महासचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेती किसानी को शुरुआत हुए दो महीना बीत रहा है परन्तु किसान अभी तक खाद के लिए दर दर भटक रहें हैँ. सहकारी समितियों में खाद नहीं है वहीं निजी खाद विक्रेता मनमानी दाम में किसानों को लदान के बोझ के साथ खाद बेच रहे हैँ जो उर्वरक मंत्रालय के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। सरकार की नाकामियों से परेशान बिसहत राम साहू, भगवती बाई साहू, सोमन यादव, पुरषोत्तम साहू, योगेंद्र साहू, खेमू राम साहू, जैसे सैकड़ों किसानों को अब तक खाद नहीं मिल पाया है।
तेजराम विद्रोही ने कहा कि डीएपी 18-46 के स्थान पर किसानों को एनपीके 12:32:16, 20:20:013 जैसे खाद विकल्प के रूप में प्रदान कर रहा था परन्तु वह भी अब तक सभी किसानों को नहीं मिल पाया है जबकि खेती कार्य को शुरू हुए दो महीना बीतने जा रही है और जुलाई के आखिरी सप्ताह तक भी किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से खाद नहीं मिल पाना सरकार और बड़े व्यापारियों की मिलीभगत मुनाफाखोरी को दर्शाता है। ज़ब निजी खाद विक्रेताओं के गोदामों में खाद भरा पड़ा है और सहकारी समितियों की गोदामों में खाद नहीं है इसका यह भी मतलब है कि जो भी सप्लाई हो रही है उसकी अधिकांश मात्रा निजी गोदामों में जा रही है जबकि नियमतः 60% मात्रा प्राथमिकता के तौर पर सहकारी समितियों में पहुँचनी चाहिए थी और दूसरी बात यह है कि 17 नवम्बर 2022 को रसायन और उर्वरक मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली ने सभी राज्यों के संचालक (कृषि) और सभी कंपनियों के प्रबंधक व मुख्य प्रबंधकों को पत्र प्रेषित कर निर्देश जारी कर लदान पर प्रतिबन्ध लगया है तब भी जबरदस्ती निजी व्यापारियों द्वारा किसानों को थमाया जा रहा है और किसानों का खुलेआम शोषण हो रहा है। ऐसे संकट के समय में कुछ जनप्रतिनिधि बिना धरातल को जाने बयानबाजी कर रहें हैँ कि किसानों को किसी प्रकार खाद की कमी नहीं है जबकि उन्हें वस्तुस्थिति की जानकारी लेकर वँचित किसानों को खाद दिलवाने का काम करना चाहिए जिससे एक भी किसान परेशान न हो।
