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हाईकोर्ट ने शासन के प्राचार्य पदोन्नति को माना सही, 1475 शिक्षकों की प्राचार्य पद पर पदस्थापना प्रक्रिया प्रारंभ

छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसले में राज्य सरकार के बनाए गए नियमों और मापदंडों को पूरी तरह वैध माना है। कोर्ट ने इस मामले में लगाई गई आधा दर्जन याचिकाएं खारिज कर दी हैं। केस की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की बेंच में हुई। हालांकि, प्रमोशन विवाद पर रिटायर शिक्षक नारायण प्रकाश तिवारी की एक अलग याचिका सिंगल बेंच में अभी भी लंबित है, जिस पर पिछले पांच दिनों से लगातार सुनवाई हो रही है। इसके चलते 1475 प्राचार्यों की पोस्टिंग अटकी हुई है।

बता दें कि डिवीजन बेंच में 9 जून से 17 जून तक लगातार प्रमोशन मामले की सुनवाई हुई, जिसके बाद 17 जून को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर सोमवार (4 अगस्त) को आदेश जारी किया गया है। वहीं, रिटायर शिक्षक नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका पर सिंगल बेंच लगातार बीते पांच दिनों से सुनवाई हो रही है। याचिका दायर होने के बाद डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान उनका रिटायमेंट हो गया। डिवीजन बेंच में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय दिया कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा निर्धारित मापदंड और प्रक्रिया उचित हैं। कोर्ट ने आधा दर्जन शिक्षकों की याचिकाओं को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि शासन की नीति में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है। डिवीजन बेंच से याचिकाएं खारिज होने के बाद शासन ने टी संवर्ग के उन 1475 शिक्षकों की प्राचार्य पद पर पदस्थापना प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है, जिन्हें प्रमोशन मिलना है। लेकिन नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका सिंगल बेंच में लंबित रहने के कारण यह प्रक्रिया फिलहाल अटकी हुई है।माना जा रहा है कि इस केस की सुनवाई और फैसला आने के बाद ही प्रमोशन के बाद पोस्टिंग आदेश जारी हो सकेगा।

तिवारी की याचिका पर जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हो रही है। सोमवार (4 अगस्त) को राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने अपना पक्ष रखा।वहीं, हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने भी अपने तर्क कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार (5 अगस्त) के लिए निर्धारित की है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने 1 मई को स्थगित कर दिया था। इसके बाद लगातार सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने 17 जून को अपना निर्णय सुनाया, जिसमें शासन के मापदंडों को सही ठहराते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

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