Chhattisgarh Politics : बने तीन नए नवले मंत्री, दिग्गज चेहरो को इसलिए किया गया दरकिनार…जाने Inside Story

Chhattisgarh Politics : छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार में मुख्यमंत्री समेत अब 14 मंत्री हो गए हैं। बुधवार को राजभवन में दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव, आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब और अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल ने मंत्री पद की शपथ ली। नए चेहरों से OBC, SC और वैश्य समाज के वोटर्स को साधा गया है।
राजनीतिक जानकारो का कहना है कि बीजेपी ने पुराने दिग्गजों को दरकिनार कर नई पीढ़ी को मौका दिया है। भाजपा 2028 विधानसभा चुनाव को ध्यान में मास्टर प्लानिंग की है। मंत्रिमंडल में लाए गए नए चेहरों से आगामी चुनावों में बीजेपी को फायदा मिलेगा।
वहीं सीनियर लीडर्स की बात करें तो पुन्नूलाल मोहिले 6 बार के विधायक, अमर अग्रवाल 5 बार, अजय चंद्राकर 5 बार, राजेश मूणत 4 बार, विक्रम उसेंडी 4 बार, धरमलाल कौशिक 4 बार और लता उसेंडी 3 बार की विधायक समेत कई दिग्गजों को किनारा किया गया। इनमें से कई नेताओं ने कुर्सी के लिए दिल्ली तक एड़ी चोटी एक की, फिर भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
वरिष्ठों को इसलिए नहीं मिली जगह
पुन्नु लाल मोहिले
6 बार विधायक, 4 बार के सांसद रहे। 2008-2018 तक खाद्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली BJP के परिवर्तन नियम के कारण कैबिनेट में जगह नहीं मिली।

अजय चंद्राकर
क्यों नहीं बने मंत्री- कुरूद से 5 बार के विधायक । शिक्षा, संस्कृति और स्वास्थ्य विभाग का नेतृत्व किया। दिल्ली तक एप्रोच लगवाई, लेकिन जातिगत समीकरण में पिछड़ गए। कैबिनेट में शामिल नहीं हो पाए ।

अमर अग्रवाल
लगातार 5 बार विधायक बने, वित्त, वाणिज्य, आबकारी और स्वास्थ्य मंत्री रहे,कैबिनेट में शामिल होने के लिए अंतिम दिन तक जोर लगाते रहे। राजेश अग्रवाल की एंट्री से बाहर का रास्ता देखने पड़ा

राजेश मूणत
4 बार के विधायक, 15 साल तक मंत्री रहे। कैबिनेट मंत्री बनने की रेस में थे, लेकिन राजेश अग्रवाल के तिलिस्म को तोड़ नहीं पाए,साय कैबिनेट में शामिल होने अंतिम तक जोर लगाते रहे

लता उसेंडी
क्यों नहीं बनीं मंत्री – 3 बार की विधायक,रमन सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। कैबिनेट में एंट्री के लिए CM हाउस से
कर दिल्ली तक दौड़ लगाई, लेकिन मंत्रिमंडल में पहले से ही एक महिला मंत्री है, इस वजह से एंट्री नहीं मिल पाई

विक्रम उसेंडी
चार बार विधायक और प्रदेशाध्यक्ष रहे, वन, शिक्षा और आईटी मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। बीजेपी के परिवर्तन नियम और नई पीढ़ी को मौका देने के कारण मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली

धरमलाल कौशिक
चार बार विधायक बने, विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष रहे जातिगत समीकरण और पीढ़ी परिवर्तन नियम के कारण कैबिनेट में जगह नहीं मिली

गजेंद्र यादव के मंत्री बनने के पीछे का समीकरण, OBC और बिहार कनेक्शन
भाजपा ने दुर्ग शहर से विधायक गजेंद्र यादव को मंत्री बनाया है। उनकी पृष्ठभूमि संघ से जुड़ी है। वे प्रांत संघचालक बिसराराम यादव के बेटे हैं। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद अब छत्तीसगढ़ में यादव समाज को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा सीधे बिहार पर नजर गड़ाए है।
बिहार की 2023 जातिगत गणना में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत दर्ज की गई थी, इसलिए भाजपा चाहती है कि राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश जाए कि पार्टी यादव समाज को सत्ता में भागीदारी दे रही है। यही वजह है कि गजेंद्र यादव को साय मंत्रिमंडल में जोड़ा गया।
खुशवंत साहेब के मंत्री बनाने का कहानी, SC वोट बैंक को साधने की कोशिश
आरंग से विधायक गुरु खुशवंत साहेब सतनामी समाज के प्रभावशाली चेहरा हैं। संत गुरु बालदास के उत्तराधिकारी होने के नाते उनका सीधा प्रभाव वोट बैंक पर पड़ता है। 2013 में बालदास के समर्थन से भाजपा को फायदा हुआ था, जबकि 2018 में कांग्रेस का समर्थन करने से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा।
अब खुशवंत को मंत्री बनाकर भाजपा एससी समाज को मजबूती से साधना चाहती है। यही वजह है कि सतनामी समाज से आने वाले खुशवंत साहेब को साय कैबिनेट में लाया गया, ताकि मिशन 2028 में बीजेपी को नुकसान उठाना न पड़े।
राजेश अग्रवाल को क्यों बनाया गया मंत्री ?
अंबिकापुर से विधायक राजेश अग्रवाल कांग्रेस के दिग्गज टीएस. सिंहदेव को हराकर सुर्खियों में आए। वे वैश्य समाज से आते हैं। रायपुर सांसद बनने के बाद बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से हटने से इस वर्ग का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया था।
अब राजेश को मंत्री बनाकर भाजपा ने यह संदेश दिया है कि व्यापारी समाज को सत्ता में अहमियत मिलेगी। MLA राजेश अग्रवाल के अलावा, वैश्य समाज से MLA अमर अग्रवाल, MLA राजेश मूणत भी आते हैं, लेकिन भाजपा ने पहली बार विधायक बने राजेश अग्रवाल को मंत्री बनाकर पीढ़ी बदलने का मैसेज दिया है।
साय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद मंत्रियों में विभाग का बंटवारा कर दिया गया है। लखनलाल देवांगन को आबकारी मंत्री बनाया गया है। इससे पहले यह विभाग सीएम साय के पास था। वहीं तीन नए मंत्रियों में गजेंद्र यादव को स्कूल शिक्षा, ग्रामोद्योग, विधि एवं विधायी कार्य विभाग दिया गया है।
राजेश अग्रवाल पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग संभालेंगे। वहीं खुशवंत साहेब को कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार, अनुसूचित जाति विकास सौंपा गया है।
बता दें कि साय कैबिनेट में तीन विधायक राजेश अग्रवाल, खुशवंत साहेब और गजेंद्र यादव ने मंत्री पद की शपथ ली है। राजभवन में राज्यपाल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ लेने वाले तीन मंत्रियों में से राजेश अग्रवाल और खुशवंत साहेब पूर्व कांग्रेसी रह चुके हैं।

14 मंत्री अवैधानिक – भूपेश बघेल
साय केबिनेट विस्तार के बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने 14 मंत्रियों की नियुक्ति को अवैधानिक बताया है। साथ ही भाजपा पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अवसर नहीं देने का भी आरोप लगाया है। भूपेश बघेल ने कहा- केंद्र सरकार से कब अनुमति ली गई है यह सार्वजानिक होना चाहिए। अगर अनुमति नहीं मिली होगी तो मंत्रियों की नियुक्ति अवैधानिक है।
बघेल ने कहा कि हमारी सरकार में भी 14 मंत्रियों की अनुमति मांगी गई थी, विधानसभा से शासकीय संकल्प भी पारित किया गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी थी अब अनुमति दे दी। हम तो 15 नहीं 20% मंत्री बनाने का प्रस्ताव रखे थे। सवाल यह है कि अनुमति कब ली गई यह बताया जाए। आगे उन्होंने कहा- मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठ विधायकों को अवसर नहीं दिया गया है। थोड़ा भी आत्मसम्मान हो तो सारे नेता आगे बढ़ें, पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर लड़ाई लड़ें। आगे उन्होंने कहा- आत्मसम्मान से बड़ी कोई चीज नहीं होती है।
अडाणी, संघ, सियासी सौदेबाजी की वजह से बने तीनों मंत्री – दीपक बैज
केबिनेट विस्तार को लेकर PCC चीफ दीपक बैज भी तंज कसा है उन्होंन कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भाजपा में अंतर्कलह चरम पर है। तीनों नए मंत्री मुख्यमंत्री की पसंद के नहीं हैं। अडाणी, संघ, सियासी सौदेबाजी की वजह से तीन मंत्री बने हैं,अब तक 13 मंत्री होते थे, एक और अतिरिक्त मंत्री बना दिए हैं। फिर भी कई सीनियर विधायक मंत्री नहीं बन पाए। वरिष्ठता, अनुभव और सभी चीजों को दरकिनार किया गया है। वरिष्ठ नेताओं का सूट कहीं खराब न हो जाए।बैज ने कहा- 5- 6 बार चुनाव जीते उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिए। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की घोर उपेक्षा हुई है। अंतर्कलह मंत्री पद के शपथ ग्रहण से पहले शुरू हो गई।