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छत्तीसगढ़ में एक कुत्ते ने बीमार दुसरे कुत्ते को खून देकर बचाई उसकी जान

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले की रहने वाली नीलिमा सूर्यवंशी का डॉग कई दिनों से गंभीर बीमारी से जूझ रहा था, उल्टी-दस्त के चलते ‘जिमी’ की हालत इतनी बिगड़ गई कि शरीर में केवल 2.5 ग्राम खून ही बचा था,नीलिमा सूर्यवंशी ने सोशल मीडिया के माध्यम से बिलासपुर के डॉग लवर रूपेंद्र वैष्णव से संपर्क किया, रूपेंद्र वैष्णव के डॉग, शैम्पू ने एक बीमार डॉग जिमी की जान बचाने के लिए अपना खून दान किया

‘शैम्पू’ ने बचाई बीमार डॉग ‘जिमी’ की जान
रूपेंद्र वैष्णव के डॉग, शैम्पू ने बीमार डॉग जिमी को अपना खून देकर उसकी जान बचा ली, दोनों ही फीमेल हैं। दरअसल पशुचिकित्सक ने जिमी की जान बचाने के लिए तत्काल ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सलाह दी। रूपेंद्र वैष्णव ने बिना देर किए अपने 2 साल 9 माह के लैब्राडोर शैम्पू का ब्लड डोनेट कराने का निर्णय लिया। बिलासपुर के सरकंडा स्थित एक निजी पशु चिकित्सालय में डॉक्टरों की देखरेख में ब्लड डोनेशन किया गया।

खून मिलने के बाद जिमी की सुधरी तबीयत
शैम्पू का खून मिलने के बाद जिमी, जिसकी उम्र 2 साल 6 माह है, की तबीयत में तेजी से सुधार हुआ। अब वह धीरे-धीरे ठीक हो रहा है। यह घटना न केवल डॉग्स के प्रति प्रेम और करुणा का उदाहरण है, बल्कि इंसानों को भी एक बड़ी सीख देती है।

डॉग्स के ब्लड डोनेट करने के है कुछ नियम
केवल 2 से 7 साल के बीच की उम्र के डॉग्स ही ब्लड डोनेट कर सकते हैं। डॉग्स में इंसानों की तरह ब्लड ग्रुप नहीं होते, लेकिन ब्रीड के आधार पर मिलान किया जाता है।

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