छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की हालत पस्त, कहा हम बंदुक छोड़ने को तैयार, सीजफायर करे सरकार

छत्तीसगढ़ समेत देशभर में नक्सल विरोधी अभियान तेज कर दिए गए है। केंद्र की सरकार अगले साल के मार्च महीने तक देशभर के माओवाद प्रभावित राज्यों से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। यही वजह है कि राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है। पिछले दो सालों में माओवादी संगठनों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में उनके शीर्ष नेता और प्रतिबंधित माओवादी पार्टी के महासचिव केशवराव उर्फ़ बसवा राजू को भी एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था। सूत्रों की माने तो लगातार चलाये जा रहे इस ऑपरेशन के बाद कभी नक्सलियों के केंद्रीय कमेटियों के सदस्यों की संख्या 40 सिमटकर मात्र 9-10 ही रह गई है। लाल लड़ाकों का थिंक टैंक पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके है।
एनकाउंटर, आत्मसमर्पण और गिरफ्तारियां भी
एक तरह सरकार जहां नक्सलियों के खिलाफ सशस्त्र ऑपरेशन चला रही है तो दूसरी तरफ माओवादियों से आत्मसमर्पण करते हुए सरकार के पुनर्वास नीति का लाभ लेने की अपील भी की जा रही है। इसके परिणाम भी सुखद है। पिछले दो सालो में ‘लोन वर्राटू सरीखे जैसे अभियान के तहत बड़े पैमाने पर अलग-अलग स्तर के माओवादियों ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आत्मसमर्पण किया है। इसके अलावा खोजी अभियान में उनकी गिरफ्तारियां भी हो रही है।
सरकार के इस अभियान के बाद माओवादी संगठन अब पूरी तरह से बैकफुट पर जा चुके है। बात अगर देश के सबसे ज्यादा नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र बस्तर की करें तो कभी संगठित होकर पुलिस और ग्रामीणों पर बड़े हमले करने वाले नक्सली आज एनकाउंटर के डर से छोटे-छोटे गुट में बंट चुके है। नक्सल संगठनों में नई भर्तियां नहीं हो रही है। उनके आय के स्त्रोत पूरी तरह से बंद हो चुके है। वे सरकार और पुलिस के खिलाफ वे लड़ाई की स्थिति में नहीं है। पुलिस का दावा है कि, माओ संगठन को अब ग्रामीणों की तरफ से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है जिससे उनका मनोबल पूरी तरह से टूट चुका है। छोटे कैडर के नक्सलियों से मिल रही जानकारी बड़े नेताओं के लिए घातक साबित हो रहे है। उनकी निशानदेही और सूचनाओं पर पुलिस सटीक और सफल ऑपरेशन कर रही है। हालांकि सरकार अब भी नक्सल संगठन से वार्ता के लिए तैयार है। इसके लिए उन्हें पहले हथियार छोड़ने की अपील की गई है, दूसरी तरफ माओवादी संगठन का कहना है कि, बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी सरकारों की है। वे बस्तर क्षेत्र से सुरक्षाबलों की वापसी करें, उनके कैम्प को बंद करें, तब वह सरकार से वार्ता करेंगे।
जाने क्या लिखा है पत्र में?
माओवादियों के सीसी मेंबर अभय की और से जारी इस कथित पत्र में उन्होंने हथियार छोड़ने की बात कही है। पत्र में लिखा है, “शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए, हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि बदली हुई दुनिया और देश की परिस्थितियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के अनुरोध को देखते हुए, हमने हथियार छोड़ने का फैसला किया है। हमने सशस्त्र संघर्ष पर अस्थायी रोक लगाने का फैसला किया है। भविष्य में, हम सभी राजनीतिक दलों और संघर्षरत संगठनों के साथ मिलकर जन मुद्दों पर लड़ेंगे।”
इसमें कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन “इस विषय पर केंद्रीय गृह मंत्री या उनके द्वारा नियुक्त व्यक्तियों या प्रतिनिधिमंडल से बात करने के लिए तैयार है।” आगे कहा गया है, “बाद में हम उन साथियों का एक प्रतिनिधिमंडल तैयार करेंगे जो इससे सहमत हैं या इसका विरोध करते हैं और शांति वार्ता में भाग लेंगे।”

वीडियो कॉल के जरिए वार्ता का जिक्र
इसलिए केंद्र सरकार से हमारा अनुरोध है कि देशभर से अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे और जेल में बंद साथियों से सलाह मशविरा करने के लिए हमें एक माह का समय दें। नक्सली लीडर ने कहा कि इस विषय पर प्राथमिक रूप से सरकार के साथ वीडियो कॉल के जरिए विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भी हम तैयार हैं।इसलिए और एक बार हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि फौरन एक माह के लिए सीजफायर करें। अभियान को रोकें।
सरकार रोक दें तलाशी अभियान
ताज़ा पत्र में, वे अपने रुख में बदलाव की बात तो कर रहे हैं, लेकिन अपनी शर्त दोहराते हैं कि सरकार एक महीने के लिए तलाशी अभियान रोक दे। पत्र में कहा गया है, “10 मई को, हमारे महासचिव ने कॉमरेड अभय के नाम से एक प्रेस बयान जारी किया था, जिसमें युद्धविराम का प्रस्ताव रखा गया था और हथियार छोड़ने पर शीर्ष नेतृत्व से परामर्श के लिए एक महीने का समय माँगा गया था। लेकिन, दुर्भाग्य से, केंद्र सरकार ने कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं दिखाई।”
जारी किया ई-मेल एड्रेस
अभय ने शांति वार्ता के लिए ई-मेल, फेसबुक आईडी भी जारी किया है। लिखा गया है कि इस माध्यम से वे अपने विचार और प्रपोजल पर सरकार अपनी सहमति जताते हुए सहयोग करने आश्वासन देने के फौरन बाद से ही हम यह दिए ईमेल और फेसबुक अकाउंट को देख सकते हैं। अभय ने कहा कि सरकार से हमारा यह अनुरोध है कि आप अपने निर्णय को इंटरनेट से दूर रहने बाले हमारी पार्टी के तमाम कैड़ों तक पहुंचाने के लिए आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के माध्यम से जरूर प्रसार करवाइये। जारी ईमेल nampet (2025)@gmail.com है।
प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के लिए तैयार
अभय ने कहा कि हम इस विषय पर केंद्र के गृहमंत्री व उनसे नियुक्त व्यक्तियों से अथवा प्रतिनिधि मण्डल से वार्ता के लिए हम तैयार हैं, लेकिन हमारी इस बदले हुए विचार से साथियों को अवगत कराना पड़ेगा। यह हमारा दायित्व है कि बाद में पार्टी के अंदर इस पर सहमत जताने वाले व विरोध करने वाले स्पष्ट होकर सहमत जताने वाले साथियों से एक प्रतिनिधि मण्डल तैयार कर शांति वार्ता में हम शिरकत करेंगे।