108 घड़े जल से स्नान के बाद बीमार पड़े पालनहार : 15 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन, 56 भोग की जगह काढ़ा और जड़ी-बूटी का भोग, साथ में फलों का रस भी
केशव पाल @ तिल्दा-नेवरा | भगवान जगन्नाथ पूर्णिमा के दिन से 15 दिनों तक आराम करते हैं। और भक्तों को दर्शन नहीं देते। इसी कारण कपाट इन 15 दिनों तक बंद रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को फलों के रस, औषधि एवं दलिया का भोग लगाया जाता है। जब भगवान जगन्नाथ स्वस्थ हो जाते हैं तो वे अपने भक्तों से मिलने के लिए रथ पर सवार होकर आते हैं। नयन उत्सव के बाद भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देगें। श्री हरि का तालध्वज रथ हजारों भक्त खींचने जाएंगे। 4 जून को स्नान यात्रा में भगवान जगन्नाथ अत्यधिक स्नान के कारण बीमार पड़ गए। हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलरामजी अलग-अलग रथों में सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। रथ यात्रा से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा देवी और बलराम जी तीनों बीमार पड़ जाते हैं। इस दौरान वे एकान्तवास में रहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलराम और बहन देवी सुभद्रा को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन 108 घड़े के पवित्र जल से स्नान कराया गया था। इस पानी से स्नान करने के बाद वो तीनों बीमार पड़ गए थे और उन्हें बुखार आ गया था। तब देसी जड़ी बूटियों से उनका इलाज किया गया था और उन्हें 15 दिनों के लिए एकान्तवास में रखा गया था, ताकि बीमारी का संक्रमण लोगों के बीच न फैले। ठीक होने के बाद भगवान लोगों के बीच आए थे। तब से ये परंपरा आज भी निभाई जा रही है। हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान को 108 घड़े के पानी से स्नान कराया जाता है। इसके बाद वो बीमार होते हैं और एकान्तवास में रहते हैं। वहां उनका इलाज राजवैद्य करते हैं। ठीक होने के बाद भगवान भक्तों को दर्शन देते हैं और रथ यात्रा निकाली जाती है। बीमारी से ठीक हुए श्रीहरि रथयात्रा के एक दिन पहले नयन उत्सव में दर्शन देने के बाद भक्तों को रथयात्रा के दिन दर्शन देते है। बीमार होने के कारण 15 दिन से भगवान जगन्नाथ विश्राम कर रहे होते हैं। श्रीहरि बहन सुभद्रा व भाई बलराम के साथ भक्तों को नयन उत्सव में दर्शन देंगे। बीमार होने के कारण भक्त जगन्नाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे। इन 15 दिन के दौरान भगवान को बीमार होने के कारण विभिन्न प्रकार के काढ़े,गिलोय, चिड़ेता, च्वनप्राश, दलिया और कालीमिर्च, अदरक का दूध दिया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार रथयात्रा सौ यज्ञों के समान पुण्य देने वाला होता है।रथयात्रा के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण जगन्नाथ जी के रूप में रथ पर उनके साथ बड़े भाई बलराम और बहन देवी सुभद्रा विराजमान होंगी। उनकी जगह-जगह पूजा होगी और मूंग दाल का प्रसाद भी वितरित की जाएगी। विभिन्न तीर्थ स्थलों के पवित्र जल, पंचगव्य व पंचामृत के 108 कलशों से श्रीहरि, बहन सुभद्रा व भाई बलराम का अभिषेक पूजन व दिव्य श्रृंगार किया जाएगा। इसके लिए मंदिरों का रंग रोगन के साथ ही रथ को भी आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है।
रथयात्रा 20 को
भगवान जगन्नाथ 18 जून तक भक्तों को दर्शन नहीं देंगे। स्वस्थ होने के बाद 18 जून को नयन उत्सव में श्रीहरि बहन सुभद्रा व भाई बलराम के साथ भक्तों को दर्शन देंगे। 20 जून को रथयात्रा का आयोजन होगा। 15 दिन बाद स्वस्थ होते ही भगवान नगर भ्रमण पर निकलते है। जिसे रथ यात्रा के रूप में जाना जाता है।
गुप्त नवरात्रि 19 से
आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि इस साल 19 जून से हो रही है। जो कि 28 जून को समाप्त होगी। आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। हालांकि गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा की नौ स्वरूपों की ही पूजा की जाती है लेकिन इसे गुप्त तरीके से किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा को गुप्त रखा जाता है। माना जाता है कि इस दौरान आप जितनी गुप्त तरीके से पूजा करते हैं उतना ही फायदा मिलता है। ऐसे में इस दौरान सार्वजनिक तौर पर पूजा नहीं करनी चाहिए। गुप्त नवरात्रि में तंत्र और मंत्र दोनों के जरिए पूजा की जाती है।