छत्तीसगढ़बस्तर संभाग

नारायणपुर : मत्स्य विभाग के मनमानी से किसान हुए आक्रोशित, अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है किसानों से धोखाधड़ी

सूरज सरकार । जिले नारायणपुर में अभी बरसात का मौसम प्रारंभ हुए 6-7 हफ्ते मात्र ही हुए हैं इतने में ही मत्स्य विभाग अपने कारनामें से जिले से लेकर ग्रामीण तक चर्चा में है, जिसकी लगातार मत्स्य पालन किसान द्वारा शिकायत प्राप्त हो रही है कि सहायक मत्स्य अधिकारी दिलीप उर्वशा द्वारा मत्स्य बीज विक्रय करने में भारी अनियमितता बरती जा रही है।

शासकीय योजना का नही मिल रहा है कोई लाभ
मछली पालन किसान मंगलू द्वारा दी गयी जानकारी अनुसार पिछले 6 हफ्ते से मत्स्य विभाग द्वारा मछली बीज विक्रय करना प्रारम्भ तो किया गया है लेकिन विभाग द्वारा किसी प्रकार का शासन द्वारा निर्धारित दर की सूची भी नहीं लगाई जा रही है जिससे कि ग्रामीणों और किसानों को शासकीय दर का जानकारी हो सके, और न ही किसानों को मत्स्य पालन हेतु किसी शासकीय योजना या सब्सीडी का लाभ मिल रहा है,विभाग द्वारा ग्रामीणों को बाजार में उपलब्ध हो रहे दर से अधिक दर ₹600/- किलो ( मिक्चर मछली ) ₹700/- किलो ( रूहा एवं कतला ) विक्रय किया जा रहा है।

150 दर वाली मछली को विभाग द्वारा 700 में थमाया जा रहा
मत्स्य पालन किसान द्वारा दी गई जानकारी अनुसार बाजार में जिस साइज की मछली 150 – 200 /- प्रति किलो की दर से खाने के लिए उपलब्ध हो रही है वही मछली मत्स्य विभाग द्वारा 600 – 700 प्रति किलो की दर से बिक्री कर भारी मुनाफा कमाया जा रहा है, बाजार में सामान्यतः मछली बीज जीरा साइज एवं अन्य अलग अलग साइज के मछली अनुमानित प्रति किलो 350-400 नग प्राप्त होती है, चूँकि मत्स्य विभाग द्वारा बड़ी-बड़ी मछली बीच के रूप में उपलब्ध कराई जा रही है जिसमें प्रति किलो अनुमानित 60- 70 नग मछली ही किसानों को दिया जा रहा है जिसमें किसानों को प्रति नग 9 – 10 रूपये भुगतान करना पड़ रहा है जिसके कारण किसानों को मछली पालन में भारी नुकसान उठाना पड़ता है, बाजार में उपलब्ध जीरा बीज अनुसार जो मछली का बीज प्रति नग 1.20/- से 1.50/- में प्राप्त हो रहा प्रति किलो 600/- की दर से 350 – 400 नग, वही बीज विभाग द्वारा बीज विक्रय में अनियमितता बरतने हुए बड़ी मछली को प्रति नग 7.50/- से 8.50/- रुपए अधिक भुगतान करना पढ़ रहा है जिसके कारण प्रति किलो 350 से 400 का नुकसान हो रहा है जो कि सीधे-सीधे मत्स्य विभाग के अधिकारियों का मुनाफा के रूप में हो रहा है

विभाग द्वारा अनियमितता बरतने का आरोप
मत्स्य किसानों द्वारा बताया गया कि पिछले 6 सप्ताह से मछली बीज विक्रय का कार्य विभाग द्वारा प्रारंभ की जा चुकी है जिसमें सप्ताह में दो दिन बुधवार एवं रविवार को विभाग द्वारा किसानों को मछली बीज बेचा जा रहा है विभाग के सहायक मत्स्य अधिकारी से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रतिदिन 200 – 300 किलो मछली लगभग 120000 – 180000 तक एवं प्रति सप्ताह 240000/- से 360000/- तक की राशि का मछली बीज विक्रय किया जा रहा है जिसमें सप्ताह के 2 दिन में 140000/- रुपए से लेकर 240000/- तक का विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से सहायक मत्स्य अधिकारी द्वारा किसानों को मनमानी दर और बड़ी साइज का बीज विक्रय कर अनियमितता की जा रही है अभी तक पिछले 6 सप्ताह में विभाग द्वारा 840000/- से 1440000/- किसानो की मेहनत की कमाई पर डाका डाला जा चुका है ।

टारगेट को पूरा करने मनमानी तरीके से विक्रय
जब इस संबंध में दिलीप उर्वशा, सहायक मत्स्य अधिकारी से जानकारी ली गई तो, उनके द्वारा यह जवाब दिया गया कि जिला मत्स्य विभाग के सहायक संचालन पुष्पा विनोदिया द्वारा मुझे वर्ष 2023- 24 में लगभग मछली बीज विक्रय हेतु 55 लाख का टारगेट दिया गया है जिसे पूरी करना मेरी जिम्मेदारी है अन्यथा मेरी वेतन से शेष राशि की रिकवरी की जावेगी।

शासकीय विक्रय पंजी संधारण करने में किया जा रहा है लापरवाही
मत्स्य विभाग में मछली बीज लेने वाले किसानों ने बताया कि दिलीप उर्वशा द्वारा मछली बीज के लिए नगद राशि लिया जा रहा है जिसके बदले में उनको कोई भी रसीद या भुगतान की पावती नहीं दी जा रही है जिसके लिए केवल रजिस्टर में किसानों का नाम लिखा जा रहा है और उसके आगे के सभी कालम को खाली छोड़कर किसानों का हस्ताक्षर करवाया जा रहा है और न ही किसानों से आधार कार्ड या अन्य कोई दस्तावेज लिया जा रहा है दिलीप उर्वशा द्वारा रजिस्टर या विक्रय पंजी में किसानों द्वारा कितनी मात्रा में मछली बीज, कितनी दर एवं कुल राशि की जानकारी नहीं लिख एक सादे कागज में अलग से पैसों का हिसाब लेन/देन लिखा जाता है जिससे कोई भी पारदर्शिता पूर्वक शासकीय कार्य संपादन नहीं किया जा रहा है।

भुगतान नही दिया जाता है रसीद एवं पावती
ग्राम पालकी के मछली पालन समितियों द्वारा जब मछली बीज विक्रय का रसीद या बिल मिलने के संबंध में पूछा गया तो दिलीप उर्वशा सहायक मत्स्य अधिकारी द्वारा बिल या रसीद देने हेतु मना कर दिया गया एवं मछली का साइज भी अत्यधिक बड़ा होने पर बताया गया इस प्रकार की मछली बीज लेने पर काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है एवं समितियों में मछली बीज खरीदने के हिसाब भी रखा जाना होता,ऐसे में हम शासकीय राशि का आहरण कैसे दिखाएंगे,जिसके कारण अन्य निजी मछली बीज विक्रेताओं से लेना ज्यादा उचित होगा।

परिचितों को मुफ्त में मछली बीज देने का आरोप
सहायक मत्स्य अधिकारी उपर आरोप लग रहा है कि उनके द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए अपने परिचितों को प्रति दिन शासकीय मछली 9-10 किलो मुफ्त में दी जाती है, पत्रकारों के सामने, जब इस संबंध में मुफ्त में प्राप्त हुए मछली बीज लेने वाले से पूछा गया कि इसके लिए आपके द्वारा कितनी राशि भुगतान की गई है तो उनके द्वारा हंसते-हंसते जानकारी दी गई कि यह मछली मेरे पिताजी के कहने पर जुगाड़ लगाकर दिलीप उर्वशा द्वारा मुफ्त में दी गई है जिनके लिए कोई भी राशि नहीं ली गई है।

सहायक संचालक द्वारा किया गया अभद्र व्यवहार
मत्स्य विभाग के अधिकारी दिलीप उर्वशा की लापरवाही एवं अनियमितता के चलते जिले में अब तक 6 – 7 सप्ताह से लगभग अपना टारगेट पूरा करने के चलते नियमों का उल्लंघन करते हुए अनुमानित 25 लाख का मछली बीज विक्रय तो कर दिया गया है जिस राशि को अभी तक नगद शासकीय राशि के रूप में चालान एवं अन्य माध्यम से शासकीय खातों में जमा न कर अपनी तिजोरी में रखा गया है, एवं किसानों के साथ इस प्रकार से हुए छल का जवाब मांगने मीडियाकर्मी जिम्मेदार अधिकारी से बाइट लेने गए तो जिले के जिला मत्स्य विभाग के सहायक संचालन पुष्पा विनोदिया पहले तो काम होने का बहाना बताकर आज नहीं कल आये, जिसके बाद जब पुनः संबंधित अधिकारी के पास गए तो मामले की गंभीरता और विभाग की लापरवाही को देखते हुए बाइट देने से मना कर दिया गया, और पुरुष/महिला मीडिया कर्मी से अभद्र व्यवहार भी किया गया।

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