नुआखाई आज: बुजुर्गों को धान मूंग और चिवड़ा का किया गया वितरण, सीएम भूपेश बघेल ने दी शुभकामनाएं
रायपुर। उत्कल समाज का प्रमुख पर्व नुआखाई 20 सितंबर, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को श्रद्धा-उल्लास से मनाया जाएगा। घर-घर में नए चावल के व्यंजनों का भोग इष्टदेवों को अर्पित कर महाआरती की जाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों और विशेष रूप से उत्कल समाज के लोगों को नुआखाई पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि उत्कल समाज द्वारा गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन ऋषि पंचमी को नुआखाई त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार नई फसल के आगमन, धरती एवं भगवान के वंदन और किसान भाईयों के बंधुत्व और एकत्व का प्रतीक है। इस त्यौहार पर नई फसल को भगवान में अर्पण के बाद एक साथ भोजन और मेलजोल से सामाजिक संबंधों में प्रगाढ़ता बढ़ती है। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों के लिए सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है।
नुआखाई पर ऐच्छिक अवकाश
नुआखाई पर प्रशासन ने 20 सितंबर को ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की है। नुआखाई जुहार 2023 कार्यक्रम के संयोजक अधिवक्ता भगवानू नायक ने कहा कि नुआखाई पर सार्वजनिक अवकाश की मांग समाज के द्वारा वर्षों से की जा रही है। जब तक पूर्णकालिक अवकाश नहीं मिल जाता समाज का संघर्ष जारी रहेगा। नुआखाई की पूर्व संध्या पर कलिंग नगर गुढ़ियारी, गोपाल नगर रामनगर, कृष्णनगर, ज्योतिनगर, वीर शिवाजी नगर, जगन्नाथ नगर, कोटेश्वर नगर, आजीपारा, दुर्गा नगर कोटा आदि मोहल्लों में घर-घर जाकर बड़े बुजुर्ग महिलाओं को साड़ी, धोती, गमछा आदि वितरित किए गए।
बुजुर्गों को धान मूंग और चिवड़ा का वितरण
समाज का प्रत्येक व्यक्ति पर्व उत्साह से मना सके इसके लिए विविध बस्तियों में बुजुर्गों को धोती-कुर्ता, नया धान, मूंग, चिवड़ा आदि सामग्री का वितरण कर खुशियां बांटी गई।
उत्कल महिला गाड़ा महासभा की अध्यक्ष समाजसेवी सावित्री जगत के नेतृत्व में झुग्गी बस्तियों में घूम-घूम कर बुजुर्ग महिलाओं को साड़ी, पुरुषों को धोती प्रदान कर सम्मान किया गया। मान्यताओं के अनुसार इस दिन जीवन की एक नई शुरुआत की जाती है। नुआखाई त्योहार उत्कल समाज के लोगों को आपस में जोड़कर रखने का पर्व है।
प्रदेश उत्कल गाड़ा महिला महा मंच की अध्यक्ष सावित्री जगत ने बताया कि नुआखाई महोत्सव एक अक्टूबर को शहीद स्मारक भवन में धूमधाम से मनाया जाएगा। समाज के उत्थान और उत्कृष्ट कार्य करने वाले बड़े बुजुर्गों का सम्मान किया जाएगा।