Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में ‘भूपेश का भरोसा’ पुरी तरह से हो चुका है खत्म ?…क्यों हुई शैलजा की छुट्टी, कैसे बढ़ा पायलट और टीएस का कद?….देखे वीडियों
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रदेश की कांग्रेसी हवा का मिजाज बदलने लगा है। क्या अब मान लिया जाए की छत्तीसगढ़ में भूपेश का भरोसा पुरी तरह से खत्म हो चुका है दिल्ली हाईकमान में क्या भूपेश का भरोसा टिक नहीं सका….. लोकसभा से पहले शैलजा की छुट्टी किस बदलाव की तरफ इशारा कर रही
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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 का परिणाम प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लिए अभी भी किसी डरावने सपने से कम नहीं, जिसका जिक्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हाल मे बनाए गए नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत हार के बाद से करते आए है, कांग्रेस ने कभी सोचा भी नहीं था कि छत्तीसगढ़ में इस कदर हार का सामना करना पड़ेगा और भाजपा वापस कुर्सी उनसे छीन लेगी, प्रदेश में करारी हार के बाद अब कई तरह से बदलाव छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अंदर देखने को मिल रहे हैं। बीते दिनों हुए बदलाव छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति कि हवा बदलती हुई दिख रही है। लेकिन बड़ी बात यह देखने को मिल रही है कि इतने दिन बीत गए और 5 साल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल को कोई नया दायित्व नहीं मिला है जिसके मायने यह निकाला जा सकता है कि प्रदेश में इन दिनों भूपेश का भरोसा कांग्रेस में नजर नहीं आ रहा है! वही इस बीच पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र समिति में शामिल किया जाना कई तरह के इशारे कर रहा है। और राजनीतिक गलियारो में चर्चा का विषय बना हुआ है
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद विपक्ष का नेता चरण दास महंत को बना दिया गया। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष के रूप में दीपक बैज को यथावत बने रहने दिया गया। लेकिन इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर सब की निगाहें टिकी हुई थी। माना जा रहा था कि भूपेश बघेल को पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर जल्द से जल्द कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ है। ऐसा लग रहा है मानो प्रदेश में “भूपेश है तो भरोसा है” की बात कहने वाली कांग्रेस का भरोसा भूपेश से खत्म हो गया है या कहे तो धीरे धीरे मोह भंग होने लगा है! यही वजह है कि चुनाव में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद 20 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन भूपेश बघेल को किसी भी बड़ी जिम्मेदारी से अब तक दूर रखा गया है।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र समिति में शामिल किया है। कांग्रेस पार्टी ने सिंहदेव को शामिल ही नहीं किया है बल्कि बड़ी जिम्मेदारी भी दी है। हालांकि साल 2023 के चुनाव से पहले हलचल यह भी थी कि प्रदेश में अगर दोबारा कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में सिंहदेव को मौका भी मिल सकता था। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सत्ता वापसी करने में नाकामयाब रही है। वही सिंहदेव खुद अपना ही चुनाव हार गए। लेकिन हार के बाद भी सिंहदेव को बड़ी जिम्मेदारी मिलने से पार्टी में कद बढ़ गया है।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने प्रभारी को बदल दिया है। छत्तीसगढ़ में हार के बाद प्रदेश की प्रभारी कुमारी शैलजा की जगह सचिन पायलट को मौका दिया है। अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान सचिन पायलट के हाथों में आ गया है। माना जा रहा है कि लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने पायलट को प्रभारी बनने के साथ ही अंदरुनी रूप से संगठन में कई बड़े बदलाव कर सकती है। पायलट के आने के बाद कांग्रेस की उड़ान में कितना फर्क पढ़ने वाला है इंतजार किजिए