नान घोटाला : अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला समेत पूर्व महाधिवक्ता पर दर्ज की FIR
छत्तीसगढ़ EOW ने कांग्रेस सरकार में महाधिवक्ता रहे सतीश चंद्र वर्मा और नान घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और पूर्व आईएएस आलोक शुक्ला के खिलाफ FIR एफ़आइआर उन व्हाट्सएप चैटों का आधार बताती है जो राज्य में कई बार कई माध्यमों से वायरल हुए थे. व्हाट्सएप चैट के माध्यम से यह आरोप भी लगाए गए कि, हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम ज़मानत हासिल की गई. एसीबी की ओर से दर्ज एफ़आइआर में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7क, 8,13 (2) और आईपीसी की धारा 182,211,193,195- ए,166 ए और 120 बी धाराएँ प्रभावी की गई हैं.
वॉट्सऐप चैट से हुआ खुलासा
EOW ने अपनी FIR में बताया है कि डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से असम्यक लाभ लिया। उनका मकसद था कि सतीशचंद्र वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए सरकारी कामकाज में गड़बड़ी कर सकें।
इसके बाद, सभी मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य था नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले (अप.क. 09/2015) में अपने पक्ष में जवाब तैयार करना, ताकि हाईकोर्ट में वे अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके।
इन धाराओं के तहत FIR
छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, सतीश चंद्र वर्मा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं 7, 7क, 8, और 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए, और 120बी के तहत अपराध दर्ज किए गए हैं। इन धाराओं के तहत तीनों के खिलाफ मामला पंजीकृत कर जांच शुरू की गई है।
2 अप्रैल को ED ने EOW को भेजा पत्र
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 2 अप्रैल 2024 को ACB-EOW को ईमेंल की जरिए छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) में हुए बड़े घोटाले से संबंधित रिपोर्ट और दस्तावेज भेजे गए थे, जिसमें ED ने अपनी जांच के दौरान जब्त डिजिटल डिवाइस से मिली जानकारी और वॉट्सऐप चैट की जानकारी भेजी थी, जिसमें बताया गया था कि हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत लेने के लिए अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला नें अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था।
जानिए क्या है नान घोटाला ?
बीजेपी का आरोप है कि भूपेश बघेल के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ, जिसमें 13,301 राशन दुकानों में अनियमितताएं सामने आईं. विशेषकर चावल में 600 करोड़ रुपये का घोटाला होने का दावा किया गया है, और कुल घोटाला एक हजार करोड़ रुपये से अधिक होने की आशंका जताई गई है. आरोप यह भी है कि स्टॉक वैरिफिकेशन न करने के बदले में प्रत्येक राशन दुकान से 10-10 लाख रुपये वसूले गए थे.