सीपत : राउत नाच माहेत्सव में बिखरी लोककला की छटा , यदुवंशियों ने नृत्य व शौर्य का प्रदर्शन कर जीता दिल , हुए पुरस्कृत (यादव समाज का इतिहास गौरवशाली , प्राचीन परंपरा को सहेजने यादव समाज का योगदान अहम : राजेंद्र धीवर)
सीपत :— पिछले वर्ष की भांति इस बार भी रविवार को सीपत तहसील के समीप रावत नाच महोत्सव का आयोजन किया। शुरुआत राधाकृष्ण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। महोत्सव में क्षेत्र के छ: यदुवंशी नर्तक दल शामिल हुए। उन्होंने बहुरंगी नृत्यकला एवं शस्त्र चालन कला का प्रदर्शन कर माहौल में रंग जमाया। लाठी चलाकर उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया। नृत्य से ज्यादा इस शौर्य प्रदर्शन की सराहना की गई। महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष व सरपंच राजेंद्र धीवर ने कहा कि रावत नाच हमारी प्राचीन परंपरा रही है जिसे सहेजकर रखने यादव समाज का विशेष योगदान है। यह नाच जहां एक ओर वीरता एवं उत्साह का प्रतीक है वही दूसरी ओर यह महोत्सव खुशी व उत्साह का प्रतीक है। यादव समाज का इतिहास गौरवशाली इतिहास रहा है। विशिष्ट अतिथि जनपद सदस्य श्रीमती सुनील मेघा भोई सहकारिता प्रकोष्ठ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दुबे सिंह कश्यप , सीपत टीआई नीलेश पांडेय , कांग्रेस नेता मनोज खरे , समाजसेवक जितेंद्र कुंभकार , एनटीपीसी इंटक अध्यक्ष सलीम वीरानी , प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रदीप पांडेय ,सेवानिवृत शिक्षक गणेशराम यादव , जनपद सदस्य प्रतिनिधि कर्रा अभिलेश यादव , हेमंत यादव, दिलीप वर्मा , गणेश एजेंसी के संचालक विकास अग्रवाल , ब्लॉक कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम नेताम , डॉ भोज यादव , द्रव्येश गुप्ता, विनोद यादव , दीपक यादवव, भागवत यादव उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता यादव समाज के जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव ने की। अतिथियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खमतराई रामफल यादव की टीम को प्रथम पुरस्कार 7100 शील्ड प्रथम पुरुस्कार , द्वितीय पुरुस्कार उच्चभट्ठी देवारीलाल यादव की टीम को 5100 शील्ड , तृतीय पुरुस्कार पंधी की टीम को 3500 रुपए शील्ड व चतुर्थ बसहा की टीम को 3100 शील्ड , सीपत व जांजीहा की टीम को सांत्वना पुरस्कार 2100 व शील्ड प्रदान किया। रावत बाजार में लोगों ने जमकर खरीददारी की। क्षेत्र के विभिन्न गांवों से आए यदुवंशीयों समाज के नर्तक पारंपरिक आकर्षक वेशभूषा में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की छटा बिखेर रहे थे। उन्हें देखने बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। यदुवंशियों ने पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए गड़वा बाजा के थाप व मुरली की तान पर पर शौर्य का प्रदर्शन करते हुए आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी व दोहा के माध्यम से क्षेत्र और लोगों की खुशहाली की शुभकामना दी। महोत्सव में शामिल होने पहुंचे यदुवंशियों ने कहा कि कृषि प्रधान देश होने के कारण यहां पशुधन का विशेष महत्व है। अभी भी गौवंश के बगैर देश में कृषि कार्य पूरा कर पाना संभव नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण के गौपालन से जुड़े हुए हैं। यही कारण वंशज होने के कारण यदुवंशी है कि देवउठनी एकादशी से गौमाता को रक्षा सूत्र के रूप में सोहई बांधकर धन-धान्य से परिपूर्ण करने की कामना की जाती है। फसल तैयार हो जाने के बाद यदुवंशी महोत्सव के रूप में यह पर्व मनाते हैं। रावत बाजार में छोटा मेला का नजारा रहा। सभी प्रकार की दुकानें लगी थीं। इनमें लोगों ने जमकर संख्या में क्षेत्र के यदुवंशी और खरीददारी की। इस दौरान बड़ी ग्रामीण उपस्थित रहे।
छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक :—
महोत्सव में शामिल होने पहुंचे यदुवंशियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग पर धीरे धीरे अपनी संस्कृति से कटते जा रहे है पर यदुवंशी अपनी संस्कृति का विस्तार करने में लगे हुए है। रावत नाच छत्तीसगढ़ का नहीं, बल्कि यह संपूर्ण देश का प्राचीन उत्सव है। यह एक ऐसा सामूहिक नृत्य है जिसमे लोकजीवन की व्यापकता होती है।