छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के लोगों के नाम पर विदेशों में फर्जी सिम बेचने वाले 25 POS एजेंट गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ते साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए रायपुर रेंज पुलिस द्वारा ‘ऑपरेशन साइबर शील्ड’ चलाया जा रहा है. इस ऑपरेशन के तहत अब तक कई अहम सफलताएं हासिल की गई हैं. रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अमरेश मिश्रा के नेतृत्व में साइबर ठगी में संलिप्त गिरोहों की धरपकड़ के लिए कार्रवाई की जा रही है. अब तक की कार्रवाई में पुलिस ने छत्तीसगढ़ के लोगों के नाम पर फर्जी सिम बेचने वाले 25 POS एजेंटों को गिरफ्तार किया है. यह लोग ठगों को सिम कार्ड बेचकर म्यूल बैंक अकाउंट के संचालन में मदद करते थ. इन सिम कार्ड्स का उपयोग ठगी की राशि को रूट करने, व्हाट्सएप कॉल से संपर्क करने और फर्जी KYC तैयार करने में होता था.

साइबर ठगी में फर्जी सिम का इस्तेमाल
ताजा कार्रवाई में पुलिस ने मुख्य सिम क्रेता कुलदीप बागड़े उर्फ मोनू को महाराष्ट्र के गोंदिया से गिरफ्तार किया है, जो इन POS एजेंटों से बड़ी मात्रा में फर्जी सिम कार्ड खरीदकर मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क चलाता था. यह गिरफ्तारी उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक से जुड़े 104 म्यूल बैंक खातों की जांच के दौरान हुई है, जिनका उपयोग साइबर ठगी में किया जा रहा था.

25 POS गिरफ्तार
ऑपरेशन साइबर शील्ड के तहत रायपुर पुलिस ने अब तक 25 POS एजेंट को सलाखों के पीछे भेजा है, जिनमें से कई अंतरराज्यीय नेटवर्क से जुड़े हैं. पुलिस का दावा है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होने का संभव है. आम जनता को भी जागरूक रहने और संदिग्ध कॉल या ट्रांजेक्शन की सूचना तत्काल पुलिस को देने की अपील की गई है.

E-KYC और D-KYC का दुरुपयोग
पुलिस ने खुलासा किया कि आरोपी ई-केवाईसी और डी-केवाईसी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर फर्जी सिम कार्ड जारी कर रहे थे. ग्राहकों के डबल थंब स्कैन और आई-ब्लिंक के जरिए एक व्यक्ति के नाम पर बिना उसकी जानकारी के दूसरा सिम जारी कर लिया जाता था. पहली बार थंब स्कैन के तुरंत बाद दूसरा सिम एक्टिवेट कर लिया जाता. इसके अलावा आधार कार्ड की फिजिकल कॉपी से डी-केवाईसी कर नया सिम सक्रिय किया जाता था. इन सिम कार्डों को म्यूल खातों के संचालकों और दलालों को ऊंची कीमत पर बेचा जाता, जिनका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी में होता था.

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