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जर्जर स्कूल भवनों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, इधर मुंगेली में फिर गिरा स्कूल का छज्जा, दो बच्चें घायल

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों की जर्जर हालत को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्कूल में करंट से झुलसे तीसरी कक्षा के छात्र और 187 जर्जर आंगनबाड़ी भवनों पर प्रकाशित समाचारों पर संज्ञान लेते हुए संयुक्त संचालक, शिक्षा विभाग को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि, राज्य के 45 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है। किसी बच्चे की जान जाए, तो पैसे से उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। मामले की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।

आंगनबाड़ी भवनों पर की रिपोर्ट पर भी कोर्ट गंभीर
तीन अगस्त को प्रकाशित खबर के अनुसार, बिलासपुर जिले में 187 आंगनबाड़ी भवन जर्जर हालत में हैं। इनमें से 95 भवनों को छोड़ने की सिफारिश ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग ने कर दी है, जबकि 92 भवनों की जांच की प्रक्रिया जारी है। कई भवन 30 साल पुराने हैं, तो कुछ सिर्फ पांच साल में ही जर्जर हो गए। रिपोर्ट में बताया गया है कि, 427 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं।

छत का प्लास्टर गिरने से दो बच्चे गंभीर रूप से घायल
प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का हाल बदहाल है। कहीं स्कूलों में भवन नहीं है, तो कहीं शिक्षक। जहां शिक्षक हैं, वहां स्कूल की इमारतों की हालत जानलेवा बनी हुई है। मुंगेली जिले के जरहागांव विकासखंड के ग्राम पंचायत बरदुली स्थित शासकीय प्राथमिक शाला की जर्जर छत का प्लास्टर गिरने से तीसरी कक्षा के दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।

बता दें कि यह स्कूल पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक पुन्नूलाल मोहले के ग्राम दशरंगपुर से लगा हुआ है। घटना के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के बावजूद बच्चों को बिना समुचित इलाज के घर भेज दिया गया। शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है और प्रशासन अब तक बेखबर बना हुआ है।

जानकारी के अनुसार, घटना में हिमांचुक दिवाकर 9 वर्ष और अंशिका दिवाकर 10 वर्ष को सिर व हाथ में गंभीर चोटें आईं। हिमांचुक के सिर में तीन टांके लगे हैं। डॉक्टर ने जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की सलाह दी थी, लेकिन बीईओ ने उन्हें घर छोड़ दिया। बच्चों के परिजनों ने बताया कि डीईओ चंद्र कुमार घृतलहरे ने फोन तक रिसीव करना उचित नहीं समझा।

अभिभावकों का कहना है कि स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर है और उसे डिस्मेंटल कर नया भवन बनवाया जाना चाहिए। ग्रामीण तुकाराम साहू ने कहा कि घटना की जानकारी होने पर मैं तुरंत स्कूल पहुंचा और बच्चों को अस्पताल ले कर गया और उपचार में सहयोग किया।

गौरतलब है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ये हाल सिर्फ एक स्कूल भवन का नहीं है, बल्कि प्रदेश दर्जनों स्कूलों में खतरे की घंटी बज रही है। लेकिन सरकार और प्रशासन की आंखे हैं कि खुलने का नाम नहीं ले रही हैं। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भी इस मामले में सरकार से सवाल किया है।

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