Ahoi Ashtami 2025 Puja Vidhi: अहोई अष्टमी व्रत आज, जानें संपूर्ण पूजा विधि, मुहूर्त और तारों को अर्घ्य देने का सही समय

Ahoi Ashtami 2025 Puja Vidhi: अहोई अष्टमी व्रत आज
आज अहोई अष्टमी 2025 का पावन पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व (Ahoi Ashtami Significance)
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत दीपावली से ठीक आठ दिन पहले आता है, इसलिए इसे “दीपावली का अग्रदूत व्रत” भी कहा जाता है।
अहोई अष्टमी 2025 तिथि और मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2025 Date and Muhurat)
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2025, सोमवार को सुबह 10:22 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2025, मंगलवार को सुबह 09:58 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:55 बजे से 7:10 बजे तक
- तारों को अर्घ्य देने का समय: रात 7:00 बजे के बाद
अहोई अष्टमी पूजा विधि (Ahoi Ashtami Puja Vidhi 2025)
- सुबह स्नान के बाद संकल्प लें — अहोई माता की पूजा और संतान की मंगल कामना का व्रत रखें।
- दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं या फोटो स्थापित करें। साथ में सप्त माताओं और सप्त पुत्रों का भी चित्र बनाएं।
- कच्चा दूध, हलवा, पूड़ी और सूजी का प्रसाद तैयार करें।
- शाम के समय पूजा करें, जल से भरा कलश रखें और दीप जलाएं।
- अहोई माता की कथा सुनें या पढ़ें।
- तारों को अर्घ्य दें और फिर संतान के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत खोलें।
तारों को अर्घ्य देने का महत्व (Significance of Offering Arghya to Stars)
अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य देने की परंपरा बहुत प्राचीन है। यह माना जाता है कि अहोई माता तारों में विराजमान रहती हैं, और अर्घ्य देने से माता संतुष्ट होकर संतान पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
अहोई अष्टमी व्रत से जुड़ी मान्यता
एक कथा के अनुसार, एक महिला ने गलती से स्याल (साही) के बच्चे को मार दिया था। इससे अहोई माता क्रोधित हुईं और उसके बच्चों की आयु कम होने लगी। तब महिला ने पश्चाताप करके अहोई माता की आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया। उसी के बाद से यह व्रत संतान के कल्याण के लिए रखा जाने लगा।