सैकड़ो माओवादियों के सरेंडर के बाद अमित शाह ने अबूझमाड़ को घोषित किया नक्सल आतंक से मुक्त

रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर को नक्सली आतंक से मुक्त घोषित कर दिया है। अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए इसकी घोषणा की। 170 नक्सलियों के सरेंडर किए जाने के बाद गृह मंत्री ने एक के बाद एक पोस्ट करते हुए इसका ऐलान किया है।
नक्सली कमांडर और सेंट्रल कमेटी मेंबर रूपेश सहित 170 नक्सली कल यानी कि शुक्रवार को जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सामने हथियार डालेंगे। उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा जगदलपुर रवाना हो गए हैं। ये दूसरा मौका होगा कि नक्सली कमांडर अपने साथियों के साथ मुख्यमंत्री की मौजूदगी में बड़ी संख्या में आत्म समर्पण करेंगे।
इससे एक दिन पहले ही बुधवार को नक्सल इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री की मौजूदगी में किसी नक्सल कमांडर का सरेंडर हुआ है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने बुधवार को छह करोड़ रुपये के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू उर्फ अभय ने 60 साथियों के साथ बंदूक छोड़ भारतीय संविधान की किताब थामी। इनसे करीब 50 हथियार भी मिले हैं।
उन्होंने लिखा, ‘यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर, जो कभी आतंकवादियों के गढ़ थे, आज नक्सली आतंक से मुक्त घोषित कर दिए गए हैं। अब दक्षिणी बस्तर में नक्सलवाद का नामोनिशान बचा है, जिसे हमारे सुरक्षा बल जल्द ही मिटा देंगे।’
अमित शाह आगे लिखते हैं, ‘जनवरी 2024 से, छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद, 2100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, 1785 गिरफ्तार किए गए हैं और 477 का सफाया किया गया है। ये आंकड़े 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के हमारे दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं।’ इससे पहले छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों की सरेंडर की सूचना केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद दी है।
यह अत्यंत हर्ष की बात है कि एक समय आतंक का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर को आज नक्सली हिंसा से पूरी तरह मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब छिटपुट नक्सली केवल साउथ बस्तर में बचे हुए हैं, जिन्हें हमारी सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे।
— Amit Shah (@AmitShah) October 16, 2025
जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ में…
उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘नक्सलवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक ऐतिहासिक दिन। आज छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। कल राज्य में 27 ने हथियार डाल दिए थे। महाराष्ट्र में कल 61 नक्सली मुख्यधारा में लौट आए। पिछले दो दिनों में कुल मिलाकर 258 माओवादियों ने हिंसा का त्याग किया है।’
इंद्रावती नदी पार करते हुए सरेंडर करने आने वाले नक्सली
अमित शाह आगे लिखते हैं, ‘मैं भारत के संविधान में विश्वास रखते हुए हिंसा का त्याग करने के उनके निर्णय की सराहना करता हूं। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के इस समस्या को समाप्त करने के अथक प्रयासों के कारण नक्सलवाद अब अपनी अंतिम सांसें ले रहा है।’
गृह मंत्री ने लिखा, ‘हमारी नीति स्पष्ट है: जो लोग आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, उनका स्वागत है, और जो लोग बंदूक चलाना जारी रखेंगे, उन्हें हमारी सेना के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। मैं उन लोगों से फिर से अपील करता हूँ जो अभी भी नक्सलवाद की राह पर हैं कि वे अपने हथियार डाल दें और मुख्यधारा में शामिल हो जाएं। हम 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता!
— Amit Shah (@AmitShah) October 16, 2025
छत्तीसगढ़ में आज 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, कल 27 ने हथियार डाले थे। महाराष्ट्र में भी कल 61 नक्सली हथियार त्याग कर मुख्यधारा में लौटे। पिछले दो दिनों में कुल 258 वामपंथी उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है।
हिंसा छोड़कर…
गुरुवार को छत्तीसगढ़ में नक्सली कमांडर और सेंट्रल कमेटी मेंबर रूपेश, माड़ डिविजन सचिव रणिता, 2 दण्डकारन्य स्पेशल जोनल कमिटी मेंबर और 15 डीवीसीएम मेंबर सहित कुल 170 माओवादी आत्मसमर्पण के लिए भैरमगढ़ पहुंच गए हैं। खबर है कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के सामने रूपेश सहित करीब 170 नक्सली जगदलपुर में हथियार डालेंगे।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने भी कहा है कि नक्सलियों के बड़े नेता आत्मसमर्पण कर रहे हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों का रेड कार्पेट बिछा कर स्वागत किया जाएगा। बता दें कि सभी माओवादी इंद्रावती नदी पार कर माड़ क्षेत्र से निकल रहे हैं, और उनके पास 70 से अधिक हथियार मौजूद हैं। भैरमगढ़ से इंद्रावती नदी के उसपरी घाट तक सुरक्षा बलों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई । किसी भी बाहरी व्यक्ति को उसपरी घाट के रास्ते पर आने-जाने की अनुमति नहीं दी गई।