कोरबा SECL में 100 करोड़ का मुआवजा घोटाला : CBI ने इंटक जिला अध्यक्ष सहित दो पर किया केस दर्ज, 152 पीड़ित भू-विस्थापितों के हक पर डाका

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की दीपका कोयला खदान के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान करीब 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। सीबीआई ने प्राथमिक जांच के बाद इंटक के जिला अध्यक्ष खुशाल (श्यामू) जायसवाल और व्यवसायी राजेश जायसवाल के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करते हुए SECL के कई अज्ञात अधिकारियों को भी जांच के दायरे में ले लिया है।
जमीन अधिग्रहण की पृष्ठभूमि
वर्ष 2013 में SECL के मेगा प्रोजेक्ट दीपका कोयला खदान के विस्तार के लिए मलगांव क्षेत्र की जमीन अधिग्रहण अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन तत्काल न तो ग्राम खाली कराया गया और न ही प्रभावितों को पूरा मुआवजा दिया गया।
साल 2023 में खदान विस्तार के लिए दोबारा अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू हुई तो मलगांव के भू-विस्थापितों के लिए मुआवजा वितरण की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं।
घोटाला कैसे हुआ, क्या खेल रचा गया
CBI की discreet जांच में पता चला कि जायसवाल परिवार ने सरकारी और गैर-सरकारी जमीन पर बने कई मकानों का हवाला देकर बार-बार मुआवजा हासिल किया, जबकि नियमों के अनुसार मुआवजा सिर्फ उसी व्यक्ति को मिल सकता है जो अधिग्रहण क्षेत्र में कम से कम पांच साल से स्थायी रूप से रह रहा हो।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जिन घरों के आधार पर मुआवजा जारी किया गया, वे कई मामलों में भूमि अधिग्रहण के बाद बनाए गए और हर बार शपथ पत्र में इन्हें एकमात्र निवास बताकर गलत जानकारी दी गई, जिस पर संबंधित अधिकारियों ने आंख मूंदकर फर्जी मुआवजा पत्रक तैयार कर दिए।
कितनी रकम किसे और कैसे मिली
इंटक के जिला अध्यक्ष खुशाल जायसवाल को लगभग 1.60 करोड़ रुपये और उनके रिश्तेदार राजेश जायसवाल को लगभग 1.83 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा दिलाए जाने की पुष्टि हुई है।
कुल मिलाकर करीब 3.43 करोड़ रुपये अधिक भुगतान का मामला सामने आया, जबकि पूरे प्रकरण में मुआवजा घोटाले की राशि लगभग 100 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है।
असली पीड़ित कौन, कितने लोग वंचित रहे
प्रशासनिक जांच में यह तथ्य सामने आया कि दीपका परियोजना क्षेत्र में 152 असली भू-विस्थापित परिवार मुआवजे के वास्तविक पात्र थे, लेकिन कागजों में इससे कहीं अधिक फर्जी दावेदारों के नाम पर मुआवजा पत्रक तैयार किए गए।
शिकायतों के अनुसार कई वास्तविक प्रभावितों को पूरा मुआवजा नहीं मिला, जबकि कुछ गैर-योग्य या परियोजना क्षेत्र से बाहर के लोगों को करोड़ों का लाभ दे दिया गया, जिससे कोल इंडिया की राशि की बंदरबांट जैसा हाल बन गया।
शिकायत, जांच और CBI की FIR
जनवरी 2024 में आशीष कश्यप और लोकेश कुमार नामक दो शिकायतकर्ताओं ने SECL के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए लगभग 100 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की मांग की थी।
शिकायत और प्रारंभिक जांच के बाद CBI ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत खुशाल जायसवाल, राजेश जायसवाल और SECL के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है; इससे पहले भी दो बार छापेमारी कर दस्तावेज और रिकॉर्ड जब्त किए जा चुके हैं।
आगे की कार्रवाई और संभावित असर
CBI की औपचारिक FIR के बाद अब राजस्व और मुआवजा प्रक्रिया देखने वाले कई पूर्व व मौजूदा अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है और भविष्य में और नाम आरोपी सूची में जुड़ने की संभावना जताई जा रही है।
जानकारों का मानना है कि यह केस न सिर्फ कोरबा बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में जमीन अधिग्रहण और मुआवजा नीति पर व्यापक सवाल खड़े करेगा, साथ ही SECL जैसी सरकारी कंपनियों में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सख्त सुधारों की मांग को भी बल देगा।






