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Chhattisgarh : ग्रामीणों ने कलेक्टर से की गांव में ‘दारु दुकान’ खोलने की मांग

बलौदाबाजार जिले के पलारी तहसील के ग्राम पंचायत मुडपार (संडी) में अवैध शराब की बिक्री ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है। लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होते देख अब गांव के लोगों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन भेजकर गांव में ही सरकारी शराब दुकान खोलने की अनोखी मांग रखी है।​

अवैध कारोबार से सामाजिक माहौल बिगड़ा
ग्रामीणों के मुताबिक, लंबे समय से गांव और आसपास के इलाके में चोरी‑छुपे शराब बेची जा रही है, जिससे झगड़े, विवाद और आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। लोगों का कहना है कि अवैध शराब के सेवन से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं और युवाओं में नशाखोरी का ग्राफ ऊपर जा रहा है, जिसका असर सीधा परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर पड़ रहा है।​

महिलाओं ने विशेष रूप से शिकायत की है कि रात के समय नशे में धुत लोगों की हरकतों से वे और बच्चे असुरक्षित महसूस करते हैं। उनका आरोप है कि कई बार शिकायत के बाद भी अवैध बिक्री का नेटवर्क बदस्तूर जारी है, जिस पर प्रशासन की पकड़ कमजोर दिखती है।​

कलेक्टर के नाम सामूहिक ज्ञापन
ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने मिलकर कलेक्टर दीपक सोनी के नाम सामूहिक ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अगर गांव में सरकारी नियंत्रण वाली लाइसेंसशुदा शराब दुकान खोली जाती है तो अवैध कारोबार करने वालों की कमर टूटेगी और बिक्री पर एक नियमन और मॉनिटरिंग की व्यवस्था बनेगी।​

ग्रामीणों का तर्क है कि फिलहाल बिना किसी लाइसेंस के मनमाने रेट पर घटिया और मिलावटी शराब बेची जा रही है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है। उनका मानना है कि वैध दुकान से नियंत्रित दाम पर शराब मिलने लगेगी तो अवैध सप्लाई चेन अपने आप कमजोर हो जाएगी।​

अवैध से बेहतर वैध और नियंत्रित व्यवस्था
पंचायत पदाधिकारियों का कहना है कि वे शराब‑मुक्त गांव के पक्ष में हैं, लेकिन मौजूदा हालात में पूरी तरह प्रतिबंध केवल कागजों पर है और जमीनी स्तर पर अवैध नेटवर्क और मजबूत होता जा रहा है। इसलिए उन्होंने साफ कहा कि अवैध धंधे से बेहतर है कि सरकार के नियंत्रण में वैध दुकान हो, जहां नियम‑कायदे लागू हों और रिकॉर्ड भी बने।​

ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि यदि सरकारी दुकान खोलने का प्रस्ताव माना जाता है, तो उसके साथ‑साथ अवैध कारोबार पर कड़ी कार्रवाई भी की जाए, ताकि दोहरी व्यवस्था न बने। उनका कहना है कि लाइसेंसशुदा दुकान के बाद भी यदि अवैध बिक्री जारी रहती है तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा।​

प्रशासन की अगली कार्रवाई पर नजर
ज्ञापन के गांव से जिला मुख्यालय तक पहुंचने के बाद अब ग्रामीण जिला प्रशासन के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि क्या कलेक्टर स्तर से अवैध बिक्री पर सख्त अभियान चलाया जाएगा या फिर ग्रामीणों की मांग के अनुरूप सरकारी दुकान खोलने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।​

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news36Desk

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