किलोल पत्रिका खरीदी मामले में प्रमुख सचिव डॉक्टर आलोक शुक्ला से होगी पूछताछ
रायपुर। विधानसभा के आखिरी सत्र में किलोल बाल पत्रिका खरीदी पर काफी बवाल मचा था। स्कूलों की लाइब्रेरी के लिए पुस्तकों में से एक किलोल और बाल पत्रिका की खरीदी प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगे थे। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर में आरोप लगाया था कि निजी लोगों पर भी दबाव डालकर किलोल पत्रिका खरीदने के लिए मजबूर किया गया है। सरकार ने किलोल बाल पत्रिका की खरीदी मामले की सारी जानकारी विधानसभा को भेज दी है। बताया गया है कि पत्रिका खरीदी के लिए आजीवन सदस्य बनाए जाने के आदेश को नियम विरुद्ध माना गया है। चर्चा है कि स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉक्टर आलोक शुक्ला भी घेरे में आ सकते हैं। कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत प्रकरण को आगे की जांच के लिए विधानसभा की कमेटी को भेज सकते हैं।
विधानसभा के आखिरी सत्र में किलोल बाल पत्रिका खरीदी पर काफी बवाल मचा था। स्कूलों की लाइब्रेरी के लिए पुस्तकों में से एक किलोल और बाल पत्रिका की खरीदी प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगे थे। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर में आरोप लगाया था कि निजी लोगों पर भी दबाव डालकर किलोल पत्रिका खरीदने के लिए मजबूर किया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने विभाग से पत्रिका ख़रीदी की पूरी जानकारी हफ़्ते भर में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। सूत्रों के मुताबिक इसकी शिक्षा विभाग ने पूछताछ की और खरीदी की पूरी जानकारी विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी है। यहां बताया गया है कि पुस्तकों की खरीदी के लिए समग्र शिक्षा प्रबंध संचालक ने आदेश जारी किए थे। बताया गया है कि न सिर्फ किलोल बल्कि अन्य पुस्तकों की खरीदी की गई है। पुस्तकों की खरीदी के लिए शिक्षकों की कमेटी बनायी गई थी। कमेटी की अनुशंसा पर पुस्तकों की खरीदी की गई है चर्चा है।
जारी आदेश में सदस्यता के लिए 10, हजार रुपये खर्च करने के निर्देश दिए गए थे। इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने माना है कि अकेले किलोल पत्रिका की खरीदी के लिए आजीवन सदस्यता लेने का DPI का आदेश त्रुटिपूर्ण था। कहा जा रहा है कि किलोल के प्रकाशन से लेकर खरीदी प्रक्रिया में स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. आलोक शुक्ला की सीधी भूमिका रही है। चर्चा है कि इस अनियमितता पर वो ही घेरे में आ सकते हैं. डॉ. शुक्ला को मई में ही एक साल की संविदा नियुक्ति दी गई थी।